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BMC चुनाव से पहले महायुति में घमासान : शिंदे सेना 50 सीटों पर मानने को तैयार नहीं, भाजपा भी अड़ी

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मुंबई, 24 दिसम्बर। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भाजपानीत गठबंधन महायुति में सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध बरकरार है। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना भाजपा के 50 सीटों के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर रही है और 80 से 90 सीटों की मांग कर रही है।

बीएमसी की कुल 227 में 150 सीटों पर लड़ने का मन बना रही भाजपा

दरअसल, बीएमसी की कुल 227 सीटों में भाजपा खुद 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और शिंदे सेना को 50 सीटें व अल्पसंख्यक बहुल इलाकों की अधिकतर 27 सीटें अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को देने की योजना है।

अंग्रेजी दैनिक द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शिंदे ने भाजपा का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। उनका तर्क है कि उनके पास लगभग 100 योग्य उम्मीदवार हैं, जिनमें कई पूर्व पार्षद शामिल हैं। शिंदे ने भाजपा नेतृत्व से कहा – शिवसेना मुंबई की मुख्य पार्टी है, इसलिए कम से कम 80 से 90 सीटें मिलनी चाहिए। यदि कम सीटें दी गईं तो बीएमसी चुनाव की उम्मीद में शिवसेना में शामिल हुए लोगों को समायोजित करना मुश्किल होगा।

शिंदे की चेतावनी – असंतोष बढ़ा तो शिवसेना (यूबीटी) में जा सकते हैं नाराज प्रत्याशी

शिंदे ने चेतावनी दी कि इससे असंतोष बढ़ सकता है और नाराज उम्मीदवार उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) में वापस लौट सकते हैं, जो महायुति के लिए नुकसानदेह होगा। साथ ही, इससे मराठी मतदाताओं को गलत संदेश जाएगा, जो बीएमसी चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हालांकि, भाजपा अपनी स्थिति पर अड़ी हुई है।

शिंदे नहीं माने तो अजित पवार की NCP से मजबूत गठबंधन की तैयारी

रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा – ‘शिवसेना को 80 सीटें भी नहीं दे सकते। अधिकतम 60 सीटों का प्रस्ताव दे सकते हैं। यदि शिंदे अपनी मांग पर अड़े रहे तो हम उन्हें अलग चुनाव लड़ने के लिए कह सकते हैं। ऐसे में शिवसेना की मांग वाली 27 सीटें अजित पवार की एनसीपी को दे दी जाएंगी और भाजपा करीब 200 सीटों पर लड़ेगी। 50 प्रतिशत स्ट्राइक रेट से भी हम सत्ता में आ सकते हैं, लेकिन कम सीटें लड़ने से भाजपा को कोई फायदा नहीं होगा।’

वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि शिंदे के 90 सीटों की मांग पर अड़े रहने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बीएमसी चुनावों के लिए अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को मजबूती से गठबंधन में शामिल करने का फैसला किया है।

महायुति की एकता व चुनावी रणनीति की बड़ी परीक्षा

फिलहाल, महायुति के घटक दलों के बीच सहमति न बनने से बीएमसी चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सीट बंटवारे का यह विवाद आने वाले दिनों में गठबंधन की एकता और चुनावी रणनीति दोनों के लिए बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है। बीएमसी चुनाव 15 जनवरी, 2026 को होने हैं और नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। महायुति की हालिया स्थानीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत ने भाजपा की स्थिति मजबूत की है, जहां वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

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