नई दिल्ली, 13 अगस्त। खाड़ी देशों से इजरायल के बेहतर होते रिश्तों के बीच भारत भी पेट्रो डॉलर की सरजमीं पर मित्रों के साथ सैन्य संबंध मजबूत करने के लिए सक्रिय हो उठा है। यही वजह है कि पिछले ही हफ्ते संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ युद्धाभ्यास के बाद भारतीय नौसेना अब सऊदी अरब के साथ पहली बार सैन्य अभ्यास में जुट गई है।
दरअसल, चीन और पाकिस्तान के रूप में सामने दोहरी चुनौती को देखते हुए भारत अब खाड़ी के देशों में उनसे हाथ मिला रहा है, जो सैन्य जरूरतों के लिहाज से उसकी मदद कर सकते हैं। इस बहाने पाकिस्तान का गुरूर भी कमजोर पड़ता जा रहा है, जिसे खाड़ी देशों के भरपूर समर्थन का दावा करता रहा है।
युद्धाभ्यास में गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस कोच्चि भी शामिल
इसी क्रम में भारतीय नौसेना सऊदी अरब के, जिसे पाकिस्तानी नेता अपना ‘भाई मुल्क’ कहते रहे हैं, साथ गुरुवार से युद्धाभ्यास अभ्यास में जुटी है। इस दो दिवसीय सैन्य अभ्यास को ‘अल मोहेद-अल हिन्द’ नाम दिया गया है। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच यह पहला युद्धाभ्यास है। इसमें हिस्सा लेने के लिए गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस कोच्चि भी सऊदी अरब पहुंचा है। इसमें दो सी किंग-42बी हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं।
ज्ञातव्य है कि आईएनएस कोच्चि ने पिछले हफ्ते अबू धाबी के पास यूएई की नौसेना के ‘जायद तलवार’ के साथ भी युद्धाभ्यास किया था। अमीरात ने सात अगस्त के युद्धाभ्यास के लिए गाइडेड मिसाइल कॉर्वेट के अलावा हेलीकॉप्टर भी भेजे थे।
भारत की वेस्टर्न फ्लीट का नेतृत्व कर रहे फ्लैग ऑफिसर, रियर एडमिरल अजय कोचर ने सऊदी अरब की पूर्वी फ्लीट के कमांडर से मुलाकात भी की है। दोनों किंग अब्दुल अजीज नेवल बेस पर मिले। एक अधिकारी ने कहा, ‘द्विपक्षीय सैन्य सम्बंधों को मजबूत करने के अलावा, इस युद्धाभ्यास से दोनों नौसेनाओं को एक-दूसरे के ऑपरेशनल तौर-तरीकों की समझ हासिल होगी।’
वायुसेना और थलसेना प्रमुख भी कर चुके हैं खाड़ी देशों का दौरा
गौरतलब है कि बीते दिनों वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया यूएई और इजरायल दौरे पर गए थे। यूएई खाड़ी के उन देशों में शामिल है, जो इजरायल के साथ सम्बंधों को सामान्य करने की दिशा में पहल कर रहे हैं। इजरायल और भारत के सैन्य रिश्ते पहले ही मजबूत हैं। ऐसे में सऊदी, यूएई और इजरायल के साथ दोस्ती एशिया समेत पूरी दुनिया में भारत की ताकत निश्चित रूप से और बढ़ाएगी।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी पिछले वर्ष दिसम्बर में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं। यह किसी सेनाध्यक्ष का इन देशों का पहला दौरा था। भारत की इस सक्रियता से साफ है कि वह खाड़ी के इन दो देशों से रक्षा क्षेत्र में सम्बंधों को मजबूत करना चाहता है, जिसका चीन और पाकिस्तान के खिलाफ फायदा अवश्य मिलेगा।