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भारतीय सेना ने प्रेस ब्रीफिंग में दी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पूरी जानकारी, पाकिस्तान को सीधी चेतावनी

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नई दिल्ली, 7 मई। विदेश मंत्रालय व भारतीय सेना ने मंगलवार की मध्यरात्रि बाद पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आज पूर्वाहन एक प्रेस ब्रीफिंग में विस्तृत जानकारी दी और आतंकियों को शरणस्थली के रूप में कुख्यात पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दे दी।

उल्लेखनीय है कि भारतीय सशस्त्र बलों ने, जिसमें सेना के तीनों अंग शामिल थे, मध्यरात्रि बाद लगभग 1.30 बजे किए गए इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में कुल नौ आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए मिसाइल अटैक किया। इस हमले में बड़ी संख्या में आतंकी मारी गए है। ऑपरेशन सिंदूर के बारे में प्रेस ब्रीफ भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने दी। उनके पहले पूरे मामले पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बयान जारी किया।

पर्यटकों पर बर्बर हमला किया गया

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतकियों ने पहलगाम में पर्यटकों पर बर्बर हमला किया और 25 भारतीय पर्यटकों और एक नेपाली पर्यटक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। मुंबई में 26/11 हमले के बाद ये सबसे गंभीर हमला था। ये काफी गंभीर मामला था। हत्या के इस तरीके से परिवार के लोगों को जान बूझकर आघात दिया गया है और उन्हें कहा गया कि इस बारे में संदेश पहुंचा दें। ये हमला जम्मू-कश्मीर के विकास को रोकना था। पर्यटन को नुकसान पहुंचाना था। बीते साल सवा दो करोड़ पर्यटक आए थे।

पूरे देश में दंगे भड़काने का प्रयास था

उन्होंने बताया कि पहलगाम में आतंकी हमले का ये तरीका जम्मू-कश्मीर और पूरे देश में दंगे भड़काने का प्रयास था। TRF ने इसकी जिम्मेदारी ली है जो कि लश्कर से जुड़ा हुआ है। पहलगाम आतंकी हमले की जांच से आतंकियों के संबंध पाकिस्तान से उजागर हुए हैं। हमलावरों की पहचान की गई और उनकी जानकारी जुटाई गई। हमले की रूपरेखा पाकिस्तान से जुड़ी हुई है। पाकिस्तान आतंकियों के पनाहगार के रूप में पहचान बना चुका है। पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर वैश्विक मंचों को गुमराह किया है। साजिद मीर केस में पाकिस्तान ने आतंकी को मृत घोषित कर दिया था लेकिन वह जिंदा पाया गया।

आतंकियों को न्याय के कठघरे में लाना जरूरी था

विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश देखा गया। भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़ कदम उठाए गए। हालांकि, ये जरूरी था कि पहलगाम हमले के आतंकियों को न्याय के कठघरे में लाया जाए। लेकिन पाकिस्तान ने आतंकियों पर कोई काररवाई नहीं की और आरोप लगाता रहा। भारत को खबर मिली कि ये आतंकी संगठन भारत को आगे और भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। अत: इन्हें रोकना और इसने निबटना दोनों को बेहद आवश्यक समझा गया। इसीलिए आज तड़के भारत ने इस तरह के सीमा पार हमलों का जवाब देने और उन्हें रोकने तथा उनका प्रतिरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है।

भारत ने आतंकवाद के ढांचे को समाप्त करने के लिए नपी-तुली काररवाई की

उन्होंने कहा कि भारत की काररवाई आतंकवाद के ढ़ांचे को समाप्त करने के लिए की गई है। ये एक नपी तुली काररवाई है। यूएन ने भी पहलगाम आतंकी हमले के आरोपितों-दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने की बात पर जोर दिया था।

पहलगाम के पीड़ितों को न्याय देने के लिए था यह ऑपरेशन – कर्नल सोफिया

विदेश सचिव के बाद सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने मीडिया को ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी। कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि 1.05 बजे से 1.30 बजे के बीच ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया है। ये ऑपरेशन पहलगाम के पीड़ितों को न्याय देने के लिए लॉन्च किया गया। पाकिस्तान के नौ टेरर कैंप को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया है। पाकिस्तान में तीन दशकों से टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। ये पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में फैले हैं। इन लक्ष्यों का चयन एजेंसियों के सटीक इनपुट के आधार पर हुआ और इस बात का ध्यान रखा गया आम नागरिकों के जीवन को खतरा न हो।

9 जगहों पर आतंकी ठिकाने ध्वस्त किए गए

पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया है। सबसे पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के मुजफ्फराबाद में स्थित सवाई नाला कैंप जो कि लश्कर का कैंप था, उसे तबाह किया गया जहां से पहलगाम समेत कई आतकी हमले के जिम्मेदार आतंकियों ने ट्रेनिंग ली थी। ये LoC से 30 किमी दूर है। बहावलपुर में जैश का बिलाल टेरर कैंप भी ध्वस्त कर दिया गया है। सियालकोट में हिजबुल का कैंप महमूना जोया ध्वस्त किया गया है।

POJK के आतंकी कैंप

सवाई नाला कैंप : 20 अक्टूबर 2024 सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 गुलमर्ग और 22 अप्रैल 2025 पहलगाम के आतंकियों ने यहीं से ट्रेनिंग ली थी।

सय्यदना बिलाल कैंप : मुजफ्फराबाद का ये कैंप जैश का एरिया है। ये हथियारस विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल ट्रेनिंग का केंद्र था।

गुलपुर कैंप : कोटली में स्थित लश्कर का ये कैंप एलओसी से 30 किमी दूर था, जो कि राजौरी और पुंछ में सक्रिया था। 20 अप्रैल 2023 को पुंछ में और 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों के बस हमले में शामिल आतंकियों को यहीं पर ट्रेन किया गया था।

बरनाला कैंप बिम्भर : ये एलओसी से 9 किमी दूर है और ये हथियार हैंडलिंग, आईईडी और जंगल सर्वाइवल ट्रेनिंग का केंद्र था।

कोटली का अब्बास कैंप : ये एलओसी से 13 किमी दूर है। इसकी कैपेसिटी 15 आतंकियों को ट्रेनिंग देने की थी। यहां लश्कर का फिदायीन तैयार होता था।

पाकिस्तान में स्थित आतंकी कैंप

सियालकोट का सरजल कैंप : ये सांबा और कठुआ के सामने इंटरनेशनल बोर्डर से 6 किमी दूर है। मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 4 जवानों की हत्या करने वाले आतंकियों को यहीं ट्रेनिग मिली।

सियालकोट का महमूना जाया कैंप : ये इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 से 18 किमी दूर था और हिज्बुल मुजाहिद्दीन का काफी बड़ा कैंप था। ये कठुआ-जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने का नियंत्रण केंद्र था। पठानकोट एयरबेस का हमला इसी कैंप में प्लान और डायरेक्ट किया गया था।

मरकज तैयबा मुरीदके कैंप : ये कैंप इंटरनेशनल बोर्डर से 18 से 25 किमी की दूरी पर है। 2008 में मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब और डेविड हेडली यहां पर प्रशिक्षित हुए थे।

बहावलपुर का मरकज सुभान्नला कैंप : ये इंटरनेशनल बॉर्डर से 100 किमी दूर था और जैश का मुख्यालय था। यहां पर भर्ती, ट्रेनिंग का केंद्र था। शीर्ष आतंकी यहां पर आते रहते थे।

किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया

प्रेस ब्रीफ में यह भी साफ कर दिया गया कि भारत ने सिर्फ आतंकियों को निशाना बनाया है। किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया है और अब तक आम नागरिक को किसी भी नुकसान की कोई खबर नहीं है। हथियारों का चुनाव भी काफी सोच-समझ कर किया गया था ताकि कोई कोलैटरल डैमेज न हो। भारतीय सेना पाकिस्तान की किसी भी तरह की हरकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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