नई दिल्ली, 16 जून। दुनियाभर में लोकप्रिय सोशल मीडिया फ्लेटफॉर्म ट्विटर को लेकर भारत सरकार का रवैया सख्त होता जा रहा है। इस क्रम में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि ट्विटर खुद को ‘अभिव्यक्ति की आजादी के झंडाबरदार’ के रूप में प्रस्तुत करता है, लेकिन इंटरमीडियरी गाइडलाइंस का पालन न करने का रास्ता चुनता है। उसका यह रुख हैरान करने वाला है।
रविशंकर प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुई घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में ट्विटर का मनमाना रवैया उजागर हो गया। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, ‘अगर किसी विदेशी संस्था को लगता है कि वह खुद को भारत में अभिव्यक्ति की आजादी का ध्वजवाहक दिखाकर कानून का पालन करने से खुद को बचा लेगी तो ऐसी कोशिशें बेकार हैं।’
- फेक न्यूज से ट्विटर की लड़ाई में अस्थिरता
प्रसाद ने कहा, ‘तथ्य यह है कि विगत 26 मई से लागू इंटरमीडियरी गाइडलाइंस के अनुपालन में ट्विटर नाकाम रहा है। उसे कई मौके दिए गए, लेकिन उसने नियमों का पालन न करने का विकल्प चुना। यूपी में जो हुआ, उसने फेक न्यूज से लड़ाई में ट्विटर का मनमाना रवैया दिखा दिया। ट्विटर अपने फैक्ट चेकिंग मैकेनिज्म को लेकर काफी उत्साहित रहा है, लेकिन यूपी जैसे कई मामलों में उसका एक्शन न लेना हैरान करता है। यह दिखाता है कि फेक न्यूज से उसकी लड़ाई में अस्थिरता है।‘
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भूगोल की तरह भारत की संस्कृति भी काफी अलग है। कई बार हालात ऐसे होते हैं कि सोशल मीडिया पर एक छोटी सी चिंगारी से बड़ी आग लग सकती है। इंटरमीडियरी गाइडलाइंस लाने के पीछे यही मंशा थी। हैरानी की बात यह है कि ट्विटर यहां के कानून के तहत यूजर्स की शिकायतें दूर करने का कोई तंत्र तैयार नहीं करता। इसके विपरीत वह अपनी मर्जी से मीडिया को मैनिपुलेटेड करार देता है।
प्रसाद ने पूछा कि जब भारतीय कम्पनियां अमेरिका समेत दूसरे देशों में कारोबार के लिए जाती हैं तो वहां के स्थानीय कानूनों का पालन करती हैं। फिर ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म भारतीय कानूनों के अनुपालन में इतनी हिचक क्यों दिखा रहे हैं?
- खत्म हो चुकी है ट्विटर को मिलने वाली कानूनी सुरक्षा
गौरतलब है कि ट्विटर को भारत में मिलने वाली लीगल प्रोटेक्शन यानी कानून सुरक्षा खत्म हो गई है। सरकार की ओर से गत 26 मई से लागू नए आईटी नियमों को अब तक लागू नहीं करने के आरोप में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ यह काररवाई की गई है।
हालांकि, सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान या आदेश जारी नहीं किया गया है। फिर भी ट्विटर ने चूंकि अब तक नए आईटी नियमों को लागू नहीं किया, इसलिए उसका लीगल प्रोटेक्शन खुद-ब-खुद खत्म हो गया है। कानूनी सुरक्षा हटने का मतलब यह हुआ कि अब ट्विटर भारतीय कानूनों के दायरे में आ गया है और उसे किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- गाजियाबाद में ट्विटर के खिलाफ दर्ज हुआ है पहला केस
इसी कड़ी में गाजियाबाद में एक घटना को सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में ट्विटर सहित नौ लोगों के खिलाफ पहला मामला दर्ज किया गया है। दरअसल, गत पांच जून को गाजियाबाद के एक बुजुर्ग का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कुछ लोग बुजुर्ग की पिटाई करते नजर आ रहे थे। एफआईआर में ट्विटर पर ‘भ्रामक कंटेंट’ नहीं हटाने का आरोप लगाया गया है।