नई दिल्ली, 8 जुलाई। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर देश में संप्रति पक्ष व विपक्ष के लोग अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। संभव है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाएगी। एनडीए समर्थित कई राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया है तो कई विपक्षी दलों में इसे लेकर विरोध के बीच मंथन जारी है जबकि इस्लामिक संगठन पहले ही इस कदम का घोर विरोध कर चुके हैं। अब इस विवादित मुद्दे पर वरिष्ठ राजनेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी अपनी राय रखी है।
सारे धर्मों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में मोदी सरकार को यूसीसी के साथ आगे बढ़ने के बारे में कभी न सोचने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘यह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जितना आसान नहीं है। इसमें सभी धर्म हैं, न केवल मुस्लिम, बल्कि इसमें सिख, ईसाई, आदिवासी, जैन और पारसी भी हैं। एक ही समय में इतने सारे धर्मों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा। इसलिए इस सरकार को मेरी सलाह है कि उसे ऐसा कदम उठाने के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए।
‘जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग किए जाने के बाद से ही हम चुनाव का इंतजार कर रहे‘
वहीं जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के बारे में आजाद ने कहा, ‘जब 2018 में विधानसभा भंग कर दी गई थी, तब से हम जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। राज्य में व्यवस्था बहाल की जाएगी…मतलब कि चुने हुए प्रतिनिधि विधायक बनें और वही सरकार चलाएं। क्योंकि चुने हुए प्रतिनिधि ही लोकतंत्र में कई काम कर सकते हैं। दुनियाभर में या भारत के किसी भी हिस्से में ‘अफसर सरकार’ छह महीने से ज्यादा नहीं चल सकती।”
विधि आयोग ने आमजन को फर्जी संदेश या फोन कॉल से बचने के लिए किया सचेत
इस बीच, भारत के विधि आयोग ने शुक्रवार को यूसीसी से संबंधित प्रसारित किए जा रहे कुछ ह्वाट्सएप टेक्स्ट, कॉल और संदेशों के बारे में बड़े पैमाने पर जनता को सूचित करने के लिए एक अस्वीकरण जारी किया। विधि आयोग ने आग्रह किया कि जनता सावधानी बरतें और सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें।
विधि आयोग के अस्वीकरण के अनुसार, यह देखने में आया है कि कुछ फोन नंबर व्यक्तियों के बीच घूम रहे हैं, उन्हें गलत तरीके से भारत के विधि आयोग के साथ जोड़ा जा रहा है। यह स्पष्ट किया जाता है कि विधि आयोग की इन संदेशों, कॉलों या संदेशों से कोई भागीदारी या संबंध नहीं है, और वह किसी भी जिम्मेदारी या समर्थन से इनकार करता है।