राजौरी/ जम्मू, 2 मई। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव स्थगित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले का बुधवार को स्वागत किया और कहा कि इससे अनेक राजनीतिक दलों को राहत मिली है। आजाद ने संसदीय चुनावों की तुलना में विधानसभा चुनावों के महत्व पर बात की और कहा कि विधानसभा का होना और विधायकों का निर्वाचन बहुत जरूरी है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कभी भी शुरुआत की जा सकती है। भारत निर्वाचन आयोग के फैसले ने हमें राहत पहुंचाई है। मैं यह सही निर्णय लेने के लिए निर्वाचन आयोग का आभार व्यक्त करता हूं। फैसले से सभी राजनीतिक दलों को फायदा होगा और सभी दल खुश हैं।’’
अनंतनाग-राजौरी सीट पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद सलीम के लिए राजौरी में प्रचार कर रहे आजाद ने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस निर्वाचन क्षेत्र में छठवें या सातवें चरण में मतदान कराना चाहिए था। इस सीट पर सलीम का मुकाबला पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ से है।
आजाद ने बताया कि उन्होंने और अन्य राजनीतिक दलों ने मुगल रोड खुलने तक चुनाव स्थगित करने का अनुरोध आयोग से किया था। उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में यात्रा संबंधी चुनौतियों का जिक्र किया। आजाद ने कहा, ‘‘ जम्मू होते हुए कश्मीर से पुंछ पहुंचने में तीन दिन लगते हैं और वापस आने में भी तीन दिन लगते हैं। एक निर्वाचन क्षेत्र में एक इलाके से दूसरे तक आने जाने में छह दिन और तीन रातें लगाना कैसे संभव है?’’
डीपीएपी अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव की घोषणा के बाद वह पिछले 10-15 दिन से पीर की गली से मुगल रोड के फिर से खुलने का इंतजार कर रहे थे ताकि वह और उनके उम्मीदवार यहां चुनाव प्रचार कर सकें। आजाद ने कहा, ‘‘भारी बर्फबारी और बारिश के कारण यह सड़क अब तक नहीं खुली है।’’
जम्मू कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर सात मई के बजाय अब 25 मई को मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को यह निर्णय लिया। कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर खराब मौसम के आधार पर इस सीट पर चुनाव स्थगित करने की मांग की थी। आजाद ने संसदीय चुनावों की तुलना में विधानसभा चुनावों के महत्व पर बात की और कहा कि विधानसभा का होना और विधायकों का निर्वाचन बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि परिसीमन के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर से संयुक्त सांसद चुना जाएगा।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आजाद ने कहा, ‘‘ईवीएम पर पहली बार सवाल नहीं उठाए गए। इस पर संसद में भी बहस हुई है। अदालत और निर्वाचन आयोग ने इन्हें सही ठहराया है।’’ उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकारों द्वारा नियुक्त निर्वाचन आयुक्तों ने भी ईवीएम की वैधता को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जब कांग्रेस और क्षेत्रीय दल जीतते हैं तो ईवीएम सही हैं और उनकी हार के समय ईवीएम खराब हो जाती हैं।’’