नोएडा, 27 जून। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुपरटेक के खिलाफ मंगलवार को बड़ी काररवाई करते हुए ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा को दिल्ली स्थित ऑफिस में गिरफ्तार कर लिया। ईडी की ओर से पिछले तीन दिनों से उन्हें लगातार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था। मंगलवार को भी उन्हें समन कर पूछताछ के लिए ही बुलाया गया था। इसके बाद देर शाम मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
ईडी की ओर से ही अरोड़ा के परिवार के लोगों को देर रात फोन कर उनकी गिरफ्तारी की सूचना दी गई, जिसके बाद परिवारजनों और कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आर.के अरोड़ा बिल्डरों के संगठन नेरेडको के चेयरमैन भी हैं।
दिल्ली, हरियाण और यूपी में दर्ज की गई थी एफआईआर
दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर सुपरटेक ग्रुप ऑफ कम्पनीज और अन्य के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत ईडी ने जांच शुरू की थी। सभी एफआईआर में ये आरोप लगाए गए थे कि कम्पनी और उसके निदेशक अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के खिलाफ संभावित खरीदारों से अग्रिम रूप से धन एकत्र करके लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश में शामिल हैं और समय पर फ्लैटों का कब्जा प्रदान करने के लिए अपने सहमत दायित्वों का पालन करने में विफल रहे हैं। एफआईआर के अनुसार, कम्पनी ने जनता को धोखा दिया।
होम बायर्स के पैसे डायवर्ट किए
ईडी द्वारा पीएमएलए के प्रावधानों के तहत की गई जांच से पता चला कि सुपरटेक लिमिटेड और समूह की कम्पनियों ने होम बॉयर्स से धन एकत्र किया और फ्लैटों के निर्माण के उद्देश्य से बैंकों से परियोजना विशिष्ट अवधि के ऋण भी लिए। हालांकि, इन फंडों का गबन किया गया और समूह की अन्य कम्पनियों के नाम पर भूमि की खरीद के लिए डायवर्ट किया गया, जिन्हें फिर से बैंकों से धन उधार लेने के लिए संपत्ति को गिरवी रखा गया था। आगे की जांच में पता चला है कि सुपरटेक समूह ने बैंकों/वित्तीय संस्थानों को अपने भुगतान में भी चूक की। वर्तमान में लगभग 1,500 करोड़ के ऐसे लोन एनपीए बन गए हैं।
पहले भी हो चुकी है काररवाई
इन मामलों में चल रही जांच में 12 अप्रैल को भी ईडी ने सुपरटेक और उसके निदेशकों की 40 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कुर्क किया था, जिसमें उत्तराखंड के रुद्रपुर में स्थित 25 अचल संपत्तियों और उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में मेरठ मॉल को कुर्क किया गया था। इन कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 40.39 करोड़ रुपये बताया गया था।