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पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ ईडी ने दाखिल किया आरोप पत्र, क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे कमाने का आरोप

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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से जुटाए गए 2.69 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अपने लिए किया और विदेशी अंशदान कानून का भी उल्लंघन किया। ईडी ने 12 अक्टूबर को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के समक्ष अयूब के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की।

चैरिटी अभियान के जरिए एकत्र किए 2.69 करोड़ रुपये

ईडी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा, “राणा अयूब ने धर्मार्थ कार्य के लिए निधि एकत्र करने के मकसद से अप्रैल, 2020 से ‘केटो प्लेटफॉर्म’ के जरिए तीन चैरिटी अभियान शुरू किए और कुल 2,69,44,680 रुपये एकत्र किए।” केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि झुग्गी बस्ती में रहने वालों और किसानों के लिए धन जुटाने, असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य करने और भारत में कोविड-19 से प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए अयूब और उनकी टीम की मदद करने के लिए ये अभियान चलाए गए थे।

राहत कार्य के लिए सिर्फ 29 लाख खर्च, शेष राशि अपने खाते में

केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि जांच में पाया गया कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुटाई गई धनराशि अयूब के पिता एवं बहन के खातों में भेजी गई थी और इसे बाद में उसके व्यक्तिगत खातों में हस्तांतरित किया गया। एजेंसी ने कहा, ‘अयूब ने इन निधियों में से 50 लाख रुपये की राशि अपने सावधि जमा (एफडी) में रखी और 50 लाख रुपये एक नए बैंक खाते में भेजे गए। राहत कार्य के लिए केवल 29 लाख रुपये का उपयोग किया गया था और राहत कार्य के लिए अधिक राशि खर्च किए जाने का दावा करने के लिए अयूब ने फर्जी बिल जमा कराए।’

अयूब के खातों में 1.77 करोड़ की राशि पीएमएलए के तहत कुर्क

ईडी ने बताया कि अयूब के खातों में 1,77,27,704 रुपये (50 लाख रुपये की एफडी सहित) की राशि पीएमएलए के तहत कुर्क की गई। ईडी ने आरोप लगाया कि अयूब ने 2.69 करोड़ रुपये ‘अवैध तरीके से’ जुटाए और आमजन को ‘धोखा’ दिया। एजेंसी ने कहा, ‘इन निधियों का इस्तेमाल निर्धारित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया था, बल्कि स्वयं के लिए संपत्ति के निर्माण में किया गया। अयूब ने इन निधियों को वैध दिखाने की कोशिश की है और इस तरह आम जनता से प्राप्त धन को लूटा गया।’

बयान में कहा गया, ‘अयूब ने ये निधि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 के तहत अनिवार्य सरकारी मंजूरी के बिना या पंजीकरण कराए बिना विदेशों से भी प्राप्त की।’ मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला दान दी गई निधियों में कथित अनियमितताओं को लेकर सितम्बर, 2021 में दर्ज गाजियाबाद पुलिस की प्राथमिकी से संबंधित है।

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