नई दिल्ली, 9 जून। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निवेशकों की करीब 200 करोड़ रुपये की राशि में कथित हेराफेरी और ठगी से जुड़े मामले में धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत महाराष्ट्र की एक सहकारी समिति के अध्यक्ष की 60 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति कुर्क कर दी है।
गिलबर्ट बैपटिस्ट पर है 200 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी और ठगी का आरोप
संघीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को जारी एक बयान में बताया कि गिलबर्ट बैपटिस्ट से संबंधित दुकानों, कई फ्लैट और भूमि जैसी अचल संपत्तियों को कुर्क करने का अंतरिम आदेश धनशोधन निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत जारी किया गया है। इन संपत्तियों का कुल मुल्य 60.44 करोड़ रुपये है और इनका संबंध बैपटिस्ट के अलावा उसके परिवार के सदस्यों, सहयोगियों और उसकी स्वामित्व वाली कम्पनियों से है।
बैपटिस्ट पहले से ही ईडी की न्यायिक हिरासत में
बैपटिस्ट को इस मामले में ईडी ने इसके पहले गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। बैपटिस्ट ने ‘मलाइका मल्टी-स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी’ (एमएमसीसीएस) की स्थापना वर्ष 2010 में मार्कलाइन बैपटिस्ट के साथ की थी।
महाराष्ट्र पुलिस के आरोपपत्र पर ईडी ने दर्ज किया था धनशोधन का मामला
महाराष्ट्र पुलिस ने आरोपित के खिलाफ दो आरोपपत्र दाखिल किये थे, जिसके आधार पर ईडी ने धनशोधन का मामला दर्ज किया था। ईडी का आरोप है कि गिलबर्ट बैपटिस्ट ने सहकारी समिति में कई ‘डमी’ (कठपुतली) निदेशक नियुक्त किये। निवेशकों को बड़ा लाभांश देने का वादा करके उन्हें सुनियोजित तरीके से विभिन्न योजनाओं में निवेश करने के लिए आकर्षित किया गया। ईडी का आरोप है कि गिलबर्ट बैपटिस्ट ने सीधेसादे निवेशकों की जमा राशि को सुरक्षित कारोबार में निवेश करने के बजाय हेराफेरी करके ज्यादातर राशि को अपने खुद के कारोबारी उपक्रमों में ‘डायवर्ट’ कर दिया।
एजेंसी ने कहा कि उसने मलाइका एप्लायंसेज प्राइवेट लिमिटेड (एमएपीएल), यासोमा इंडस्ट्रीज, यासोमा वेडिंग साड़ी और मलाइका स्टारसिटी प्रोजेक्ट आदि के नाम से विभिन्न उद्यम शुरू किए, जो एमएमसीसीएस से प्राप्त निवेश से चलाए जा रहे थे। ईडी ने कहा, ‘उसके व्यापारिक उपक्रमों को नुकसान उठाना पड़ा और जल्द ही एमएमसीसीएस के खाते गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए जिसके परिणामस्वरूप हजारों सीधे-साधे निवेशकों को नुकसान हुआ। अनुमान लगाया जा रहा है कि गिलबर्ट बैपटिस्ट द्वारा किये गये फर्जीवाड़े के कारण 200 करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि का नुकसान हुआ।’