नई दिल्ली, 25 जून। सर्वोच्च न्यायालय की ऑक्सीजन ऑडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग कर डाली थी। ऑडिट टीम के इस सनसनीखेज दावे से अरविंद केजरीवाल सरकार कठघरे में खड़ी हो गई है। समिति ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया है कि दिल्ली सरकार को जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन आपूर्ति के कारण कम से कम 12 राज्यों को ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा होगा।
289 मीट्रिक टन की जरूरत थी, मांगी 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन
ऑडिट टीम ने सुप्रीम कोर्ट को दी गई इस रिपोर्ट में कहा, ‘बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है। बेड कैपेसिटी के आधार पर तय फॉर्मूले के अनुसार दिल्ली को 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत का दावा किया था, जो जरूरत से चार करीब गुना है।’
गौरतलब है कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गत 13 मई को कहा था कि दिल्ली सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर बताया है कि अब उसके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन है, जिसे दूसरे राज्यों को दिया जा सकता है।
ऑडिट टीम की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि दिल्ली सरकार के अनुसार 183 अस्पतालों को 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी जबकि इन्हीं अस्पतालों ने बताया कि उन्हें सिर्फ 209 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी।
इस रिपोर्ट के बाद सोशल मीडिया ट्विटर पर भी लोग केजरीवाल सरकार पर तीखे प्रहार कर रहे हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी सुप्रीम कोर्ट के पैनल की जांच रिपोर्ट की खबर को शेयर किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पूरे भारत में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करने के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी।
पीईएसओ ने किया चौंकाने वाला खुलासा
पेट्रोलियम ऐंड ऑक्सीजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पीईएसओ) ने सुप्रीम कोर्ट के पैनल को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) के पास जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन थी, जिसने दूसरे राज्यों को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की सप्लाई प्रभावित की। उसने कहा कि अगर दिल्ली की मांग पूरी की जाती रही होती, तो राष्ट्रीय स्तर पर ऑक्सीजन संकट पैदा हो सकता था।