नई दिल्ली, 8 सितम्बर। भारत और चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में बनी आम सहमति के अनुरूप गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स पेट्रोल प्वॉइंट 15 (पीपी-15) के क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि दोनों देशों के सैनिकों का समन्वित और नियोजित तरीके से हटना सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए अनुकूल है।
इससे पहले भारत-चीन कोर कमांडर स्तर 16वें दौर की वार्ता के एक दिन बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद बनाए रखने पर सहमत हुए।
शेष मुद्दों के समाधान से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सक्षम बनाया जा सकेगा
रक्षा मंत्रालय के अनुसार दोनों शीर्ष सैन्य नेताओं ने इस संबंध में विचारों का एक स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया। दोनों पक्षों ने फिर से पुष्टि की कि शेष मुद्दों के समाधान से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ शांति बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सक्षम बनाया जा सकेगा। इसी क्रम में दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया है।
संवेदनशील इलाकों में दोनों देशों के करीब 50-60 हजार सैनिक तैनात
गौरतलब है कि भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं। पूर्वी लद्दाख विवाद में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता हो चुकी है। राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप कुछ इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने का काम भी हुआ है। फिलहाल एलएसी पर संवेदनशील सेक्टर में दोनों देशों के करीब 50-60 हजार सैनिक तैनात हैं।