सिंगापुर, 22 अक्टूबर। भारत में डिजिटल बदलाव और उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास भले ही पूरी गति से हो रहा है, लेकिन साइबर विशेषज्ञों ने डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई की है, जिसे देश को अपने पड़ोस के विरोधियों और बढ़ते घोटालों को देखते हुए प्रबंधित करना होगा।
विशेषज्ञों ने यहां 17 से 19 अक्टूबर तक आयोजित सिंगापुर साइबर वीक – 2023 के अवसर पर कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकीविदों और व्यावसायिक अधिकारियों को प्रौद्योगिकी-संचालित खतरों से निबटने के लिए सहयोग करते हुए एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा/अनुसंधान और यूटिलिटी ऐसे हमलों से सर्वाधिक प्रभावित रहे
उल्लेखनीय है कि चेक प्वॉइंट की हालिया ‘थ्रेट इंटेलिजेंस रिपोर्ट’ के अनुसार, पिछले छह महीनों में भारत में प्रत्येक संगठन पर औसतन प्रति सप्ताह 2,157 बार हमले हुए, जबकि वैश्विक स्तर पर प्रति संगठन 1,139 बार हमले हुए। विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले छह महीनों में ऐसे हमलों के तीन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा/अनुसंधान और यूटिलिटी रहे। खुदरा, आतिथ्य, विनिर्माण और परिवहन क्षेत्रों को भी तेजी से साइबर सुरक्षा को लेकर कदम उठाना चाहिए।
सरकार पारित कर चुकी है डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम
केंद्र सरकार ने अगस्त माह में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 पारित किया था। एनटीटी लिमिटेड में एपीएसी के उपाध्यक्ष एवं साइबर सुरक्षा प्रमुख आशीष थापर ने कहा कि इससे बहुराष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) में अधिक विश्वास उत्पन्न हुआ है, हालांकि वे भारत में सुरक्षा को लेकर अब भी चिंतित हैं।
क्वाड और जी20 मंचों में भारत की भागीदारी साइबर सुरक्षा के निर्माण के लिए अच्छी
चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) और जी20 मंचों में भारत की भागीदारी साइबर सुरक्षा के निर्माण के लिए अच्छी है, फिर भी यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि क्वाड में कथित तौर पर एक नए सूचना-साझाकरण समझौते पर काम चल रहा है और इसके चार सदस्य देशों – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका को साइबर-मजबूती के साथ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा जोखिमों पर प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।