लखनऊ, 14 जनवरी। देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच निर्वाचन आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही 15 जनवरी तक रैलियों और सभाओं पर रोक के बावजूद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के लखनऊ स्थित कार्यलय के बाहर लोगों का भारी हुजूम देखने को मिला। इसे लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार किया है और लगभग ढाई हजार सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
स्वामी प्रसाद मौर्य सहित अन्य नेताओं के सपा में शामिल होने पर हुआ था आयोजन
दरअसल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी में योगी सरकार के दो पूर्व कैबिनेट मंत्रियों और आधा दर्जन विधायकों सहित कई अन्य नेताओं के सपा में शामिल होने के अवसर पर पार्टी ने यह वर्चुअल रैली आहूत की थी। लेकिन वर्चुअल रैली के बहाने आयोजन स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं और किसी भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ। जिला प्रशासन ने इस मामलें में जांच के आदेश दे दिए हैं। इसी क्रम में सपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
महामारी एक्ट के तहत दर्ज किया गया मुकदमा
प्राप्त जानकारी के अनुसार सीआरपीसी की धारा 144 के तहत सपा के खिलाफ यह एक्शऩ लिया गया है। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने कहा कि ढाई हजार समाजवादी पार्टी के नेताओं के खिलाफ 269, 270, 144 महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस की ओर से पहले वीडियोग्राफी कराई गई, फिर नेताओं और कार्यकर्ताओं को चिह्नित कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
समाजवादी पार्टी चुप, भाजपा ने बनाया मुद्दा
समाजवादी पार्टी की तरफ से इस विवाद पर कोई सफाई पेश नहीं की गई है, लेकिन भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने जोर देकर कहा है कि सपा ने कोरोना काल में चुनाव आयोग के नियमों का मखौल उड़ाया है, सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को तार-तार किया गया है।
लखनऊ के जिला अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने भी इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि सपा द्वारा कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। जब इस कार्यक्रम की जानकारी मिली, तब पुलिस को सपा दफ्तर भेजा गया और अब आगे की काररवाई की जाएगी।