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भारत में अमेरिकी चुनावी फंडिंग पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा, पवन खेड़ा ने पूछे ये सवाल

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नई दिल्ली, 22 फरवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत में अमेरिकी चुनावी फंडिंग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर कथित रूप से भारत को मिले 21 मिलियन डॉलर का मुद्दा उठाया है। तीन दिनों के भीतर तीसरी बार ट्रंप ने कही, ‘हम अपने दोस्त प्रधानमंत्री मोदी को वोटर टर्नआउट के लिए 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग करते हैं। लेकिन हमारा क्या, हमें भी इसकी जरूरत है।’ ट्रंप ने इसके अलावा बांग्लादेश को लेकर भी कहा कि वोटर टर्नआउट के लिए बांग्लादेश को भी 29 मिलियन डॉलर (करीब 251 करोड़ रुपये) की फंड दी जाती रही है।

हालांकि एलन मस्क के नेतृत्व वाले सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने इस फंडिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। लेकिन अमेरिकी सरकार की एजेंसी USAID की ओर से कथित रूप से भारत को दिए गए मदद का मुद्दा देश में राजनीतिक टकराव की वजह बन गया है। इस मामले ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी मौका दे दिया है और वह मोदी सरकार को लगातार घेर रही है। इसी क्रम में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्रंप के बयान को लेकर केंद्र सरकार से तीखे सवाल किए हैं।

खेड़ा ने पूछा – ये 21 मिलियन डॉलर कहां गए?

पवन खेड़ा ने शनिवार को यहां कांग्रेस मुख्यालय में आहूत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘डोनाल्ड ट्रंप ने आज कहा कि 21 मिलियन डॉलर मैंने अपने दोस्त नरेंद्र मोदी को वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए हैं। लेकिन ट्रंप के इस बयान के बाद आज चारों तरफ चुप्पी है। इसलिए हम नरेंद्र मोदी से जानना चाहते हैं कि ये 21 मिलियन डॉलर कहां गए? क्योंकि ट्रंप के बयान से साबित हो गया है कि उन्होंने 21 मिलियन डॉलर मोदी को चुनावों को प्रभावित करने और वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए थे। क्योंकि हम लगातार वोटर टर्नआउट के बारे में सवाल पूछ रहे हैं, तो क्या इसी पैसे से वोटर टर्नआउट बढ़ रहा है? नरेंद्र मोदी कितना भी विदेशी फंड ले आएं, वो भारत के लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर पाएंगे।’

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने बांग्लादेश को मिले 29 मिलियन डॉलर अमेरिकी मदद का भी जिक्र किया। ट्रंप ने कहा कि बांग्लादेश को 29 मिलियन डॉलर राजनीतिक परिदृश्य में स्थिरता लाने के लिए दिए गए। उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश में 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर एक ऐसी फर्म को दे दिए गए, जिसके बारे में किसी ने कभी सुना ही नहीं था। उस फर्म में केवल दो लोग काम कर रहे थे।’

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