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केंद्र सरकार ने 1.45 लाख करोड़ लागत की 10 सैन्य परियोजनाओं​ को दी मंजूरी

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नई दिल्ली, 3 सितम्बर। केंद्र सरकार ने देश की रक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए तीनों सेनाओं के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपये के 10 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय जो प्रमुख परियोजनाएं शुरू करने की तैयारी में है, उनमें भारतीय नौसेना के लिए सात उन्नत फ्रिगेट का निर्माण और भारतीय सेना के टी-72 टैंकों को आधुनिक फ्यूचर रेडी कॉम्बैट ह्वीकल्स (एफआरसीवी) से बदलने का प्रस्ताव शामिल है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डीएसी की बैठक

साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज आहूत रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक हुई, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, तीनों सेना प्रमुख, रक्षा सचिव और अन्य शीर्ष अधिका​री मौजूद रहे। बैठक में भारतीय सेना के रूसी मूल के टी-72 टैंकों को 1,700 एफआरसीवी से बदलने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई।

रक्षा अधिकारियों के अनुसार लड़ाकू वाहनों, वायु रक्षा अग्नि नियंत्रण रडार, डोर्नियर-228 विमानों, अगली पीढ़ी के तेज गश्ती और अपतटीय गश्ती जहाजों की खरीद की जानी है। भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17 ब्रावो के तहत सात नए युद्धपोतों का अधिग्रहण करना भी शामिल है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन नीलगिरि श्रेणी के फ्रिगेट के बाद भारत में निर्मित अब तक के सबसे उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट होंगे।

शिपयार्डों को 70 हजार करोड़ रुपये की निविदा जारी किये जाने की उम्मीद

डीएसी से मंजूरी मिलने के बाद निजी क्षेत्र के शिपयार्ड सहित ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारतीय शिपयार्डों को लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की निविदा जारी किये जाने की उम्मीद है। निविदा में श्रेणी ए के शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो आदि शामिल होंगे।

मौजूदा समय में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स प्रोजेक्ट 17ए (नीलगिरी-क्लास) के तहत फ्रिगेट का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें एमडीएल में चार और जीआरएसई में तीन फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं।

टी-72 को स्वदेशी एफआरसीवी से बदलने की योजना बन रही

सेना टी-72 को स्वदेशी एफआरसीवी से बदलने की योजना बना रही है। भारतीय विक्रेताओं को 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री वाले टैंक बनाने की आवश्यकता होगी और भारत फोर्ज और लार्सन एंड टूब्रो जैसी प्रमुख कंपनियां हैं। भारतीय सेना का लक्ष्य एफआरसीवी परियोजना को कई चरणों में पूरा करना है, जिसमें प्रत्येक चरण में लगभग 600 टैंक बनाए जाएंगे।