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केंद्र ने ट्रेनर विमान और जहाजों के लिए एचएएल व एलएंडटी के साथ 9,900 करोड़ रुपये के अनुबंध पर किए हस्ताक्षर

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नई दिल्ली, 7 मार्च। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को राज्य के स्वामित्व वाली हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के साथ क्रमशः 70 हिन्दुस्तान टर्बो ट्रेनर-40 (एचटीटी-40) बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट और तीन कैडेट प्रशिक्षण जहाजों के लिए दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए, जिनकी कुल लागत 9,900 करोड़ रुपये की है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में किए गया यह अनुबंध रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के केंद्र के मिशन में एक और मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने गत एक मार्च को दो सौदों को मंजूरी दे दी थी, जिसके अनुसार बुनियादी प्रशिक्षकों पर 6,838 करोड़ रुपये और कैडेट प्रशिक्षण जहाजों पर 3,100 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

नए प्रशिक्षक विमान की लंबे समय से आवश्यकता थी और यह वायु सेना के पायलटों के प्रारंभिक प्रशिक्षण के लिए बहुत आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा। बेसिक ट्रेनर उन हथियारों और प्रणालियों की लंबी सूची में शामिल हैं, जिन पर भारत ने पिछले 30 महीनों से आयात प्रतिबंध लगा रखा है। एचएएल छह वर्षों में भारतीय वायुसेना को एचटीटी-40 विमानों की आपूर्ति करेगा।

वर्तमान में सभी नौसिखिए पायलटों का प्रारंभिक प्रशिक्षण स्विस मूल के पिलाटस पीसी-7 एमकेआईआई विमानों और किरण एमके-1/1ए प्रशिक्षकों पर किया जाता है। फाइटर पायलट बनने की ट्रेनिंग लेने वालों को आगे ब्रिटिश मूल के हॉक एडवांस्ड जेट ट्रेनर्स पर ट्रेनिंग दी जाती है। अधिकारियों ने पहले कहा था कि एचटीटी-40 एक टर्बोप्रॉप विमान है, जिसे अच्छी कम गति से निबटने के गुणों और बेहतर प्रशिक्षण प्रभावशीलता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित प्रशिक्षण जहाजों की डेलिवरी 2026 में शुरू होने की उम्मीद है। ये पोत भारतीय नौसेना की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके बुनियादी प्रशिक्षण के बाद समुद्र में महिलाओं सहित अधिकारी कैडेटों की जरूरतों को पूरा करेंगे। जहाजों का निर्माण तमिलनाडु में एल एंड टी की कट्टुपल्ली सुविधा में किया जाएगा।

स्थानीय रूप से निर्मित सैन्य हार्डवेयर की खरीद के लिए एक अलग बजट बनाने के अलावा, सरकार ने रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से बढ़ाकर 74% करना और सैकड़ों हथियारों और हथियारों को अधिसूचित करना शामिल है।

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