अयोध्या, 24 अगस्त। अयोध्या में श्रीराम मंदिर विस्तारीकरण के लिए खरीदी गई जमीनों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह अब अदालत तक पहुंच गए हैं। इस क्रम में उन्होंने मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अयोध्या की अदालत में याचिका दाखिल की। इस याचिका में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित 10 लोगों को आरोपित बनाया गया है।
सीजेएम कोर्ट ने एक सितम्बर को तलब की रिपोर्ट
इस मामले को लेकर सबसे पहले मीडिया के सामने आने वाले संजय सिंह ने धारा 156/3 के तहत अपने अधिवक्ता अरुण कुमार यादव के जरिए एक याचिका दाखिल की। उन्होंने चंपत राय, ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र, जमीन खरीदारी में गवाह के रूप में मौजूद महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, जमीन बेचने वाले हरी पाठक, कुसुम पाठक, सुल्तान अंसारी, रवी मोहन तिवारी सहित अन्य को आरोपित बनाया है। अदालत ने इस याचिका को लेकर एक सितम्बर को नगर पुलिस से रिपोर्ट तलब की है।
ढाई करोड़ में खरीदी गई जमीन को 18.50 करोड़ में खरीदा
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राम भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ करते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य अनिल मिश्र ने ढाई करोड़ में खरीदी गई जमीन को 18.50 करोड़ में खरीदा। यह भी आरोप है कि ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीनें विवादास्पद हैं और इन जमीनी सौदों के जरिए निजी लाभ लेने की कोशिश की गई है। याचिकाकर्ता ने सभी दोषियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर न्यायालय से काररवाई की मांग की है।
अन्य लोग भी कर चुके हैं ट्रस्ट के खिलाफ काररवाई की मांग
वस्तुतः जमीन खरीद मामले को लेकर ट्रस्ट के सदस्यों पर आरोप लगाने वाले अकेले सांसद संजय सिंह नहीं है बल्कि अयोध्या से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक और राज्य मंत्री रहे तेज नारायण पांडे पवन ने भी मीडिया के सामने आकर ट्रस्ट के सदस्यों पर बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि पवन पांडे ने कानूनी लड़ाई नहीं लड़ी।
लेकिन निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास ने इस मामले को लेकर थाना राम जन्मभूमि में ट्रस्ट के सदस्यों के ऊपर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज करने के लिए एक प्रार्थना पत्र भी पिछले सप्ताह दिया था। हालांकि अब तक इस मामले में कोई काररवाई नहीं हुई है।
‘आप’ सांसद संजय सिंह ने भी पहले अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोतवाली नगर अयोध्या में पुलिस से काररवाई करने के लिए अपील की थी। लेकिन जब कोई काररवाई नहीं हुई, तब उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।