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छत्‍तीसगढ़ : सुकमा जिले में 9 महिलाओं सहित 44 नक्‍सलियों ने किया आत्‍मसमर्पण

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सुकमा, 2 जनवरी। छत्‍तीसगढ़ के सुकमा जिले में नए वर्ष के पहले दिन नौ महिलाओं सहित 44 नक्‍सलियों ने आत्‍मसमर्पण कर दिया। ये नक्सली सुकमा जिले के चिंतलनार, किस्‍तारम और भेजी क्षेत्रों में सक्रिय थे।

मदकम डूला पर था दो लाख रुपये का ईनाम

सुकमा के पुलिस अधीक्षक सुशील शर्मा ने बताया कि इन नक्‍सलवादियों ने करिगुंडम गांव में सीआरपीएफ कैंप पहुंचकर समर्पण किया। इनमें एक नक्‍सली मदकम डूला पर दो लाख रुपये का ईनाम था। नक्सलियों के समर्पण की सूचना कैंप में पहले से ही थी। समर्पण करने वाले नक्सलियों को कैंप में भोजन भी कराया गया।

माओवादियों की विचारधारा से निराश और पुलिस के पुना नर्कोंम अभियान से प्रभावित

सुशील शर्मा के अनुसार नक्‍सलियों ने कहा‍ कि वे माओवादियों की खोखली विचारधारा से निराश हैं और नक्‍सलियों के पुनर्वास के लिए जिला पुलिस के पुना नर्कोंम अभियान से प्रभावित हैं। पुना नर्कोंम गोंड भाषा का शब्‍द है,जिसका अर्थ होता है नया सवेरा।

समर्पण करने वाले नक्‍सलियों को छत्‍तीसगढ़ सरकार की समर्पण और पुनर्वास नीति के अनुसार सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी। इनको रोजगार से जोड़ने के लिए लाइवलीहुड कॉलेज में कई तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

समर्पण करने वाले सभी नक्सली सुकमा जिले के चिंतागुफा के निवासी

करिगुंडम कैंप में नक्सलियों के समर्पण की जानकारी मिलने के बाद जिला बल के जवानों के साथ पहुंचे एसपी ने नक्सलियों से उनके किए गए अपराधिक घटनाओं में शामिल होने के बारे में जानकारी ली। नक्सलियों ने कहा कि गांव में दबाव के कारण वे लोग नक्सली संगठन में शामिल हो गए थे। फोर्स से बचने के लिए जंगलों में रहते हुए और नक्सली नेताओं की खोखली विचारधारा से तंग आकर समर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं। समर्पण करने वाले सभी नक्सली सुकमा जिले के चिंतागुफा के निवासी हैं।

इन नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चिंतागुफा के ग्रामीण काफी दिनों से प्रयास कर रहे थे। ग्रामीणों के समझाने के बाद नक्सलियों ने समर्पण करने की इच्छा जताई। ग्रामीणों ने बताया करिगुंडम में सीआरपीएफ का कैंप खुलने से नक्सलियों में खौफ है। पहले की तरह नक्सली घटनाओं में कमी आई है।

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