नई दिल्ली, 11 जून। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और संप्रति राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए), बेंगलुरु के निदेशक राहुल द्रविड़ ने उच्च स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के लिए युवा खिलाड़ियों को अच्छी ट्रेनिंग व सुविधा की जरूरत पर बल दिया है। द्रविड़ का साथ ही यह भी कहना है कि इंडिया-ए दौरों पर सभी खिलाड़ियों को खेलने का मौका दिया जाना आवश्यक है, अन्यथा उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं होता।
अपने अंतरराष्ट्रीय करिअर में 13,288 टेस्ट रन और 10,889 वनडे रन बनाने वाले 48 वर्षीय द्रविड़ ने एक क्रिकेट पत्रिका को दिए इंटरव्यू में ये विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत में इस खेल को लेकर जुनून ज्यादा है। ऐसे में युवाओं को उच्च स्तर पर जाकर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अच्छी ट्रेनिंग और सुविधा की जरूरत है।
बीच में या सड़क पर खेलने से कोई क्रिकेटर नहीं बनता
ज्ञातव्य है कि देश की युवा प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के लिए फिट रखने का काफी श्रेय द्रविड़ को जाता है। उन्होंने कहा, ‘बीच में या सड़क पर खेलने से कोई क्रिकेटर नहीं बनता। यह आपको ऐसा बनाता है, जैसे आप इस खेल से प्यार करते हों। हमारे पास कई ऐसे खिलाड़ी थे, जो इस खेल को पसंद करते थे।’
जिम में ज्यादा वक्त व्यतीत करने की जरूरत नहीं
अपने जमाने में भारतीय मध्यक्रम बल्लेबाजी की रीढ़ माने जाने वाले द्रविड़ ने कहा, ‘जब तक आप खिलाड़ी को मैटिंग विकेट या टर्फ विकेट उपलब्ध नहीं कराएंगे और अच्छी कोचिंग नहीं देंगे, कोई भी अच्छा क्रिकेटर नहीं बन पाएगा। हमें फिटनेस को लेकर ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की ओर देखना पड़ता था, लेकिन हमें क्या मिला। जिम में ज्यादा वक्त व्यतीत करने की जरूरत नहीं है। इससे शरीर चीमड़ हो जाता है। सिर्फ आपको गेंदबाजी करनी है और दौड़ लगानी है।’
अंतराष्ट्रीय दौरों पर अधिकतम खिलाड़ियों को मौका मिले
युवा टीमों के अंतरराष्ट्रीय दौरों पर अधिकतम खिलाड़ियों को अवसर प्रदान करने को लेकर सदैव सजग रहने वाले द्रविड़ ने कहा, ‘मैंने खिलाड़ियों से कहा था कि अगर तुम मेरे साथ इंडिया ए दौरे पर जाओगे तो वहां से बिना मैच खेले नहीं लौटोगे।’
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘जब छोटा था तो मैंने ऐसा अनुभव किया था। इंडिया ए दौरे पर ले जाया जाता था, लेकिन खेलने का अवसर नहीं मिलना अजीब था। जब आप अच्छा कर रहे हैं इसके बाद आपको वहां जाकर खुद को साबित करने का मौका नहीं मिले यह अच्छा नहीं होता।’
उन्होंने कहा कि वह अंडर-19 के मैचों में टीम में पांच से छह बदलाव करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसा करना आसान नहीं होता क्योंकि आपको दोबारा मौका मिले, इसकी गारंटी नहीं होती। आपको कहना पड़ता है कि ये सर्वश्रेष्ठ 15 खिलाड़ी हैं, जिनके साथ हमें खेलना है।’