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‘तुम्‍हें शर्म आनी चाहिए’, कश्‍मीर फाइल पर इजरायली फिल्‍म मेकर के दिए बयान पर गुस्‍साए राजदूत, कहा- माफी मांगो

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नई दिल्‍ली, 29 नवंबर। भारत में तैनात इजरायल के राजदूत Naor Gilon ने कश्‍मीर फाइल पर की गई अपमानजनक टिप्‍पणी पर इजरायल के ही फिल्‍ममेकर Nadav Lapid को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। उन्‍होंने लैपिड से तुरंत अपने बयान पर माफी मांगने को कहा है, जो उन्‍होंने इस फिल्‍म को लेकर दिया था। बता दें कि लैपिड गोवा में इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल आफ इंडिया में ज्‍यूरी हैड थे। गोवा के इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल आफ इंडिया के आखिरी दिन उन्‍होंने इस फिल्‍म को एक प्रोपेगेंडा और वलगर बताया था। उनके इस बयान की तीखी आलोचना भी हुई थी।

गिलोन ने कहा है कि अपने इस कृत्‍य के लिए उन्‍हें देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए। इस बाबत गिलोन ने एक खुला पत्र भी लिखा है। इसमें लैपिड को संबोधित करते हुए राजदूत ने कहा है कि ये हिब्रू में नहीं है क्‍योंकि वो जानते हैं कि उनके भारतीय भाई और बहन इसको अच्‍छे से समझ सकते हैं।

राजदूत ने इस बाबत कई ट्वीट भी किए हैं। अपने एक ट्वीट में गिलोन ने कहा है कि ‘मैंने पहले ही कहा है कि उन्‍हें अपने बयान पर शर्म आनी चाहिए’। अपने ट्वीट में उन्‍होंने लैपिड को बताया कि भारत और इजरायल के बीच वर्षों से कितने गहरे रिश्‍ते हैं। उन्‍होंने लिखा है कि ‘भारत और इजरायल के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। यदि इनको नुकसान पहुंचता है तो इसका खामियाजा भी उन्‍हें उठाना पड़ेगा। एक इंसान होने के नाते वो मानते हैं कि इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल के मेजबान से उन्‍हें अपने बयान पर तुरंत माफी मांगनी चाहिए।’

गिलोन ने यहां तक कहा है कि ‘आपने जो पूर्व में किया उसको कहने का आपको हक है, लेकिन ऐसा केवल आप अपने ही देश में कर सकते हैं, न कि दूसरे देश में। वो भी इजरायल के करीबी देश में ऐसा करना पूरी तरह से गलत है। आपको ऐसा करने और ऐसा कहने की कोई जरूरत नहीं थी।’ इजरायली राजदूत ने कहा कि लैपिड यदि ऐसा ही मानते थे तो उन्‍हें इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल आफ इंडिया का जज बनना स्‍वीकार ही नहीं करना चाहिए था।

उन्‍होंने ये भी कहा कि ‘इजरायल से बेहतर संबंधों की वजह से ही भारत ने आपको अपने यहां पर आमंत्रित भी किया था। इजरायली राजदूत होने की वजह से ही भारत ने इस फेस्टिवल में मुझे भी आमंत्रित किया था।’ गिलोन ने आगे कहा कि वो फिल्‍म एक्‍सपर्ट नहीं हैं, लेकिन वो इतना जरूर जानते हैं कि जब तक किसी भी ऐतिहासिक चीज के बारे में अच्‍छी समझ और जानकारी न हो तब तक उस विषय पर आपत्तिजनक बयान नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।