लखनऊ, 16 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल की है। अब सूबे में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी भाषा में भी होगी। इसके लिए पुस्तकों का अनुवाद का कार्य भी पूरा हो गया है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का फैसला किया है। इसके लिए तीन पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद कराया गया है, जिसका विमोचन गृहमंत्री अमित शाह आज भोपाल में करेंगे।
मेडिकल और इंजीनियरिंग की हिन्दी भाषा में पढ़ाई को लेकर तमाम तरह की शंकाएं भी हैं। दरअसल, देश में अभी तक मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अंग्रेजी में ही होती रही है। ऐसे में जब मेडिकल और इंजीनियरिंग की पुस्तकें हिन्दी में उपलब्ध होंगी तो कितने छात्र या छात्राएं इसे पढ़ने के लिए तैयार होंगे। इसके अलावा हिन्दी माध्यम से पढ़कर निकले डॉक्टर और इंजीनियर का भविष्य क्या होगा?
मध्य प्रदेश पहला राज्य, जहां यह व्यवस्था लागू की गई
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पहला राज्य है जहां यह व्यवस्था लागू की गई है। अब इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश भी शामिल हो गया है। कई दूसरे देशों की तरह अब मध्य प्रदेश में भी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अपनी मातृभाषा हिन्दी में होगी। एमपी के 97 डॉक्टरों की टीम ने चार महीने में मेहनत करके अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया है।
बता दें कि हिन्दी में लिखने की सुविधा मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने वर्ष 2018 में ही शुरू कर दी थी। इसके परिणाम अच्छे रहे हैं। इस साल एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री की हिन्दी में भी पढ़ाई कराई जाएगी। आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने कहा कि कई विद्यार्थियों ने इस व्यवस्था की तारीफ की थी।