लखनऊ, 16 जुलाई। यूपी में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के प्रबल विरोध को देखते हुए योगी सरकार ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था फिलहाल स्थगित कर दी है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के साथ मंगलवार को शिक्षक संगठनों की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया।
अब गठित होगी कमेटी, विचार मंथन के बाद लागू होगी व्यवस्था
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की शिक्षक संगठनों की बैठक में यह तय हुआ कि इस मसले को लेकर एक कमेटी का गठन होगा, जिसमें अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षाविद भी होंगे और फिर इसे लागू किया जाएगा।
शिक्षक संघों के पदाधिकारियों ने सरकार के निर्णय पर जताई खुशी
उल्लेखनीय है कि गत आठ जुलाई को यह व्यवस्था लागू की गई थी और तब से शिक्षक लगातार इसका विरोध कर रहे थे। अब प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा और उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार के इस निर्णय पर खुशी जताई है।
शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी का मुद्दा हाई कोर्ट पहुंचा
इस मामले का दिलचस्प यह रहा कि यूपी सरकार के फैसले के पहले हाई कोर्ट के पूर्व अधिवक्ता और 72825 भर्ती में चयनित शिक्षक अनुराग सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी है। उनका तर्क था कि शिक्षकों की नियुक्ति जिला या ब्लॉक मुख्यालय के साथ ही सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में होती है, जहां शिक्षक 40 से 100 किमी दूर से नौकरी करने आते हैं। ऐसी परिस्थिति में बिना उनकी समस्याओं का समाधान किए वेतन काटने की धमकी देकर काम नहीं कराया जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि रास्ते में जाम, एक्सीडेंट, वाहन पंचर होना, रास्ता टूटा होना, रास्ता बाढ़ में बह जाना, दलदल की समस्या, शिक्षक के स्वयं या परिवार में अचानक किसी की तबीयत खराब होने पर वेतन कटने के डर से शिक्षक जल्दबाजी में दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।
लखनऊ में 29 जुलाई को धरना-प्रदर्शन का एलान हो चुका था
वहीं संयुक्त मोर्चा के संयोजक मण्डल के सदस्यों ने एलान किया था कि विभाग ने यदि ऑनलाइन उपस्थिति के आदेश वापस नहीं लिए तो आगामी 29 जुलाई को प्रदेशभर के शिक्षक, शिक्षा मित्र तथा अनुदेशक लखनऊ पहुंच कर स्कूल शिक्षा महानिदेशक कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
सपा व कांग्रेस के बाद मायावती ने भी किया था शिक्षकों का समर्थन
गौरतलब है कि परिषदीय स्कूलों के शिक्षक पिछले एक हफ्ते से लगातार इसके विरोध में आंदोलनरत थे। विपक्षी दल भी शिक्षकों का पक्ष में खड़े रहे। पहले सपा और कांग्रेस ने उनकी आवाज उठाई थी। मंगलवार को बसपा प्रमुख मायावती ने भी बयान दिया था।
‘बिना तैयारी शिक्षकों पर ऑनलाइन हाजिरी थोपा जाना ठीक नहीं’
मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा था, ‘बिना तैयारी शिक्षकों पर ऑनलाइन हाजिरी को थोपा जाना ठीक नहीं है। परिषदीय स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है। शिक्षकों के भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। ऐसे में पहले शिक्षकों के खाली पद भरे जाएं और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि अच्छी गुणवत्ता की पढ़ाई सुनिश्चित हो सके।’
2. शिक्षकों की डिजिटल हाज़िरी भी सरकार का ऐसा ही नया कदम लगता है जो जल्दबाजी में बिना पूरी तैयारी के ही थोप दिया गया है। इससे कहीं ज्यादा जरूरी है शिक्षकों की सही व समुचित संख्या में भर्ती के साथ ही बुनियादी सुविधाओं का विकास ताकि अच्छी गुणवत्ता वाली पढ़ाई सुनिश्चित हो सके।
— Mayawati (@Mayawati) July 16, 2024
मायावती ने कहा, ‘सरकारी स्कूलों में जरूरी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव होने के कारण वहां बदहाली की शिकायतें आम हैं, जिस पर समुचित बजटीय प्रावधान करके उन गंभीर समस्याओं का उचित हल करने के बजाए सरकार द्वारा ध्यान बांटने के लिए केवल दिखावटी कार्य किया जा रहा है।’