नई दिल्ली, 3 सितम्बर। विश्व बैंक ने आज जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-2025 में भारत का विकास दर पूर्वानुमान 6.6% से बढ़ाकर 7% कर दिया है। विश्व बैंक का यह बदलाव चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत के बढ़ते आर्थिक विकास को दर्शाता है।
बदलते वैश्विक परिदृश्य में ‘भारत के व्यापार अवसर’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8.2% की प्रभावशाली वृद्धि दर के साथ तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में इंगित करती है। इस मजबूत आर्थिक वृद्धि दर को बड़े पैमाने पर सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निवेश और रियल एस्टेट में घरेलू निवेश का साथ मिला है।
वहीं विनिर्माण क्षेत्र में 9.9% की वृद्धि हुई है जबकि सेवा क्षेत्र का भी अहम योगदान रहा है, जिसने कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की भरपाई की। शहरी बेरोजगारी दरों में भी धीरे-धीरे सुधार हुआ है खासकर महिला श्रमिकों के बीच, जिनकी बेरोजगारी दर वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में गिरकर 8.5% हो गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरी युवा बेरोजगारी 17% के उच्च स्तर पर बनी हुई है।
इस बीच भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त की शुरुआत में 670.1 बिलियन अमरेकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिससे 11 महीने से अधिक का आयात कवर मिला। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में भारत के ऋण-से-जीडीपी अनुपात में वित्त वर्ष 2023-24 में 83.9% से वित्तीय वर्ष 2026-27 तक 82% तक की गिरावट का अनुमान है।
भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर गरीबी को कम करने में सहायक
भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा, ‘भारत की मजबूत विकास संभावनाओं के साथ-साथ घटती मुद्रास्फीति अत्यधिक गरीबी को कम करने में मदद करेगी। भारत अपनी वैश्विक व्यापार क्षमता का दोहन करके अपनी वृद्धि को और बढ़ा सकता है।’
कौमे ने भारत के निर्यात बास्केट में विविधीकरण की आवश्यकता पर भी यह सुझाव देते हुए जोर दिया कि आईटी, व्यावसायिक सेवाओं और फार्मास्यूटिकल्स में अपनी ताकत के अलावा, देश कपड़ा, परिधान, जूते, इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों जैसे क्षेत्रों में निर्यात का विस्तार कर सकता है।
भारत के 2030 तक एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापारिक निर्यात के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आईडीयू ने तीन-आयामी दृष्टिकोण की सिफारिश की है, जिसमें व्यापार लागत को कम करना, व्यापार बाधाओं को कम करना और व्यापार एकीकरण को गहरा करना शामिल है।