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पीएम मोदी ने फिर चौंकाया : महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी, विशेष सत्र में पेश किया जाएगा

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नई दिल्ली, 18 सितम्बर। संसद के विशेष सत्र के पहले दिन सोमवार को दिनभर की कयासबाजियों पर देर शाम विराम लग गया, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संसद के एनेक्सी भवन में लगभग डेढ़ घंटे तक चली कैबिनेट की बैठक के दौरान यह बिल पास हो गया।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने सोशल मीडिया मंच X पर इसकी पुष्टि की। अपने ट्वीट में लिखा, ‘महिला आरक्षण की मांग पूरा करने का नैतिक साहस मोदी सरकार में ही था, जो कैबिनेट की मंजूरी से साबित हो गया।’ इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का अभिनंदन किया। हालांकि, कुछ देर बाद उन्होंने यह पोस्ट डिलीट कर दिया।

उल्लेखनीय है कि संसद के विशेष सत्र का एलान होने के बाद से अनुमान लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी एक बार फिर चौंकाएंगे और वाकई उन्होंने वैसा ही किया। कैबिनेट मीटिंग के दौरान पीएम मोदी के अलावा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी, व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत विभिन्न केंद्रीय मंत्री मौजूद थे।

क्या है इस विधेयक में?

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 वर्ष बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

कांग्रेस ने कैबिनेट के फैसले का किया स्वागत

वहीं, इस फैसले पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, ‘महिला आरक्षण लागू करने की मांग कांग्रेस लंबे समय से कर रही थी। हम केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले का स्वागत करते हैं और बिल से जुड़ी जानकारियों का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे की राजनीति की बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।

जयराम रमेश ने दिया पुरानी पोस्ट का हवाला

जयराम रमेश ने अपने एक पुरानी पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें महिला आरक्षण विधेयक की पृष्ठभूमि का हवाला दिया गया था। उन्होंने कहा था कि सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितम्बर 1989 में राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था।

रमेश के अनुसार, अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्ह राव ने पंचायतों और नगर निकायों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया था। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। आज पंचायतों और नगर निकायों में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह आंकड़ा 40 प्रतिशत के आसपास है।

कांग्रेस पार्टी 9 वर्षों से इस बिल को लोकसभा में पारित कराने की मांग कर रही

उन्होंने कहा था कि राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी मौजूद है। कांग्रेस पार्टी पिछले नौ वर्षों से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।

सर्वदलीय बैठक के दौरान महिला आरक्षण को लेकर चर्चा हुई थी

गौरतलब है कि रविवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान भी महिला आरक्षण को लेकर चर्चा हुई थी और कांग्रेस ने लोकसभा में मंगलवार को इस विधेयक को पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने की सत्ता पक्ष से मांग की थी। आज दिन में कैबिनेट मीटिंग को लेकर भी खूब कयासबाजी चल रही थी। अनुमान लगाए जा रहे थे कि कैबिनेट मीटिंग में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा कर सकती है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान संकेत दिए थे

संसद के विशेष सत्र के अपने संबोधन के दौरान भी पीएम मोदी ने इस बारे में संकेत दिए थे। उन्होंने कहा कि संसदीय इतिहास के प्रारंभ से अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर लगभग 7500 सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें करीब 600 महिला सदस्य रही हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे महिला सदस्यों की संख्या बढ़ती गई है। तभी अंदाजा लग गया था कि यह महिला आरक्षण का संकेत है।

विपक्ष ने भी विशेष सत्र के पहले दिन उठाई थी मांग

सदन में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी के प्रयास से राज्यसभा में एक बार संबंधित विधेयक पारित हो चुका था, लेकिन अब समय आ गया है कि सत्ता पक्ष महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने संबंधित विधेयक इस सत्र में पेश करे और इसे मूर्त रूप देने में भूमिका निभाए। उन्होंने विपक्षी दलों को अपने विचार रखने के लिए भी एक दिन तय करने का अनुरोध किया। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने भी देश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने वाले विधेयक को मूर्त रूप देने की मांग सरकार से की थी।

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