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जम्मू-कश्मीर : तापमान में गिरावट के साथ ही घाटी में बढ़ने लगा घुसपैठ का ग्राफ

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जम्मू, 3 नवम्बर। जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी शुरू होने के पहले तापमान गिरने साथ ही सीमा पार से होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ का ग्राफ बढ़ने लगा है। सैन्य अधिकारियों का कुछ ऐसा ही कहना है और एलओसी पर आतंकियों को रोकने की कवायद और कोशिशों में कामयाबी के लिए सेना को जीतोड़ मेहनत करनी पड़ रही है।

सेना के अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान की कोशिश बर्फ गिरने से पहले अधिक से अधिक आतंकियों को इस ओर धकेलने की है। एक सेनाधिकारी ने कहा, ‘ऐसे में एलओसी पर माहौल गर्म हो जाता है। लेकिन इस बार सुखद बात यह है कि पाकिस्तानी सेना के साथ चल रहे सीजफायर के कारण भारतीय सैनिकों को मात्र एक ही मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है।’

इस वर्ष घुसपैठ की 15 कोशिशों के दौरान 25 आतंकी मारे गए

इस वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो 25 आतंकवादियों को 15 के करीब घुसपैठ की कोशिशों के दौरान मार गिराया गया। इतना जरूर था कि सेनाधिकारी उन्हीं आंकड़ों को देने में सक्षम हैं, जिनमें उन्होंने आतंकियों को मार गिराने में सफलता हासिल की थी। फिलहाल सैन्य अधिकारी ने घुसपैठ में कामयाब होने वालों का आंकड़ा नहीं बताया। सिर्फ दबी जुबान से यह स्वीकार किया कि जितने आतंकी घुसपैठ के दौरान मारे जाते हैं, उनसे कई गुणा अधिक घुसपैठ में कामयाब रहते हैं।

घुसपैठ के लिए प्रयासरत आतंकी अब ध्यान बंटाने वाली रणनीति अपना रहे

सीमा पार से घाटी में घुसपैठ का स्पष्ट कारण यही माना जा रहा है कि घुसपैठ की कोशिश करने वाले आतंकियों द्वारा अब ध्यान बंटाने वाली रणनीति अपनाई जा रही है। एक दल अगर थोड़ी सी गोलीबारी कर छुप जाता है तो दूसरा मुकाबले की कोशिश में जुट जाता है और तीसरा दल घुसने के प्रयास करने लगता है। यही पहले भी हुआ करता था। तब पाक सेना कवरिंग फायर का सहारा लेते हुए आतंकियों को धकेलती थी।

ताजा स्थिति यह है कि एलओसी पर आतंकियों को रोकने की खातिर लगाए गए तमाम तामझाम के बावजूद सेना परेशान है क्योंकि आतंकियों द्वारा अक्सर तारबंदी की धज्जियां उड़ाकर घुसपैठ करने में कथित तौर पर कामयाबी हासिल की जा रही है और सेना के तारबंदी के प्रति किए जाने वाले दावे धूल चाट रहे हैं।

तापमान में आती गिरावट सेना की मुश्किलों का ग्राफ बढ़ा रही

ऐसे में तापमान में आती गिरावट सेना की मुश्किलों का ग्राफ बढ़ा रही है। गुरेज और पुंछ के इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के बावजूद आतंकी हैं कि घुसे ही चले आते हैं। उन पर रोक कैसे लगाई जाए के सवाल से जूझ रही सेना को एक ही रास्ता नजर आता है और वह यह है कि एक बार फिर सीमा पार आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों पर इजराइल की तरह हमला बोल दिया जाए।

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