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सत्रावसान : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में 82%, राज्यसभा में 47% कामकाज हुआ

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर। संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र गत 29  नवंबर को शुरू हुआ था और 23 दिसंबर तक निर्धारित था, लेकिन एक दिन पहले ही दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में 9 और राज्यसभा में 11 विधेयक पारित किए गए

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि सत्र के दौरान लोकसभा में 82 प्रतिशत जबकि राज्‍यसभा 47 प्रतिशत कामकाज हुआ। उन्होंने बताया कि 17वीं लोकसभा के सातवें सत्र में नौ और राज्‍यसभा में 11 विधेयक पारित किये गए। इनमें कृषि कानून निरसन-2021, चुनाव कानून संशोधन विधेयक-2021, विनियोग विधेयक-5- 2021, उच्‍च न्‍यायालय और सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश, वेतन और सेवा की शर्ते संशोधन विधेयक-2021 प्रमुख रूप से शामिल हैं।

जोशी ने बताया कि सत्र के दौरान कुल 13 विधेयक पेश किए गए। साथ ही उन्होंने सदन की कार्यवाही में व्‍यवधान उत्पन्न करने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की। सत्र के दौरान सदन की 19 बैठकें निर्धारित थीं। लेकिन 18 बैठके संभव हो सकीं।

2 दिसंबर को लोकसभा में 204 फीसदी का रिकॉर्ड काम हुआ – ओम बिरला

वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा में दो दिसंबर को 204 फीसदी का रिकॉर्ड काम हुआ। हालांकि विपक्षी सदस्यों द्वारा दोनों सदनों में व्यवधान के कारण सत्र में 18 घंटे 48 मिनट का नुकसान हुआ।

लखीमपुर खीरी हिंसा और राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन पर ज्यादा गरम रहा सत्र

शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने जिन दो मुद्दों को सबसे अधिक उठाया, वे थे लखीमपुर खीरी हिंसा और राज्यसभा से 12 सांसदों का निलंबन। राहुल गांधी के साथ विपक्ष के कई नेताओं ने किसानों को कुचलने के मामले में आरोपित आशीष मिश्र ‘मोनू’ के पिता व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे को लेकर सदन को बाधित किया। विपक्षी नेताओं ने इस दौरान मार्च निकालकर संसद परिसर के बाहर भी प्रदर्शन किया। हालांकि विपक्ष के हंगामे के दौरान कई अहम विधेयक भी पास हुए।

गौरतलब है कि पिछले डेढ़ वर्ष में हुए संसद सत्रों की तरह शीतकालीन सत्र भी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित किया गया। कोविड-19 महामारी के चलते पिछले साल संसद का शीतकालीन सत्र नहीं हुआ था और बजट सत्र और मानसून सत्र की अवधि में भी कटौती की गई थी।