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विंबलडन टेनिस : भारतीय मूल के अमेरिकी समीर ने 30 वर्षों बाद दोहराया इतिहास, जीता बालकों का एकल खिताब

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लंदन, 12 जुलाई। भारतीय मूल के अमेरिकी किशोर समीर बनर्जी ने 30 वर्षों बाद इतिहास दोहराया और रविवार को यहां वर्ष के दूसरे ग्रैंड स्लैंम यानी विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट का बालक एकल खिताब जीत लिया।

चर्च रोड स्थित आल इंग्लैंड क्लब के कोर्ट नंबर एक पर खेले गए फाइनल में 17 वर्षीय समीर ने साथी अमेरिकी विक्टर लिलोव को 7-5, 6-3 से हरा दिया। विश्व जूनियर नंबर 19 को वैसे क्ले कोर्ट का विशेषज्ञ माना जाता है और पिछले वर्ष उन्होंने क्ले कोर्ट पर चार उपाधियां जीती थीं। लेकिन उन्होंने विंबलडन की घसियाला सतह पर भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की।

यहां गैर वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के तौर पर उतरे समीर को एक घंटा 22 मिनट तक चले मुकाबले के पहले सेट में 48 मिनट तक संघर्ष करना पड़ा, जो 12 गेमों तक खिंचा। लेकिन दूसरे सेट में उन्होंने आईटीएफ रैंकिंग में 31वें नंबर के खिलाड़ी विक्टर को टिकने नहीं दिया।

लिएंडर पेस 1990 में जीत चुके हैं जूनियर एकल उपाधि

विंबलडन में अंतिम बार लिएंडर पेस ने 1990 में भारत के लिए बालकों का एकल खिताब जीता था जबकि अंतिम बार एकल जूनियर ग्रैंड स्लैम खिताब युकी भांबरी ने 2009 में ऑस्ट्रेलियाई ओपन के रूप में जीता था। पेस ने 1991 की यूएस ओपन में भी जूनियर उपाधि जीती थी। उनके अलावा रमेश कृष्णन (फ्रेंच ओपन और विंबलडन 1979) और रमेश के पिता रामनाथन कृष्णन (विंबलडन 1954) भी ग्रैंड स्लैम स्पर्धाओं में जूनियर एकल खिताब जीत चुके हैं।

असम के रहने वाले हैं समीर के माता-पिता

समीर की बात करें तो उनके माता-पिता असम के रहने वाले हैं। समीर ने 2019 में दिल्ली में एक जूनियर स्पर्धा में भाग लिया था। हालांकि बड़ी जीत के बावजूद बनर्जी के कोलंबिया विश्वविद्यालय में कॉलेज की पढ़ाई के लिए एटीपी टूर छोड़ने की संभावना है। वह अर्थशास्त्र या राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल करने की इच्छा रखते हैं।

बनर्जी ने खिताबी सफर के दौरान पहले दौर में इक्वेडोर के अल्वारो गुइलेन मेजैन को मात दी तो दूसरे दौर में स्लोवाकिया के पीबी प्रिवारा को तीन सेटों में हराया। तीसरे दौर में उन्होंने ब्राजील के पांचवीं वरीयता प्राप्त पी. बोस्कार्डिन डायस को (6-2, 6-1) से हराया। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में क्रोएशियाई क्वालीफायर मिली पोलिकक पर 6-1, 6-1 से जीत दर्ज की। फाइनल में प्रवेश के लिए उन्हें फ्रांसीसी साशा ग्येमार्ड के खिलाफ तीन सेटों तक जूझना पड़ा था। इस खिताबी जीत पर समीर को 1,000 आईटीएफ अंक मिलेंगे।