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बांग्लादेश में फिर होगा तख्तापलट? बढ़ते असंतोष के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मो. यूनुस दे सकते हैं इस्तीफा

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ढाका, 23 मई। पूर्व पीएम शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर जाने के वर्षभर के अंदर ही बांग्लादेश एकबार फिर तख्तापलट के मुहाने पर जा खड़ा हुआ है। दरअसल, जनता में बढ़ते असंतोष और राजनीतिक गुटों के बीच आम सहमति की कमी के बीच अंतरिम सरकार के लीडर मोहम्मद यूनुस पद छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं।

यह घटनाक्रम आम चुनाव की तारीख के लिए नए सिरे से की गई मांग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के हजारों समर्थकों द्वारा सड़कों पर उतरने के बीच हुआ है, जो मांग कर रहे हैं कि उनकी पार्टी के उम्मीदवार इशराक हुसैन को ढाका के मेयर के रूप में शपथ दिलाई जाए।

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की शुरुआत में गठित नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेता नाहिद इस्लाम ने गुरुवार को यूनुस की चिंताओं से अवगत कराया, जिसमें कहा गया कि अंतरिम लीडर को लगता है कि यदि राजनीतिक दल एक आम ज़मीन पर पहुंचने में विफल रहते हैं तो वे प्रभावी ढंग से शासन नहीं कर सकते।

अंतरिम सरकार के बारे में अपमानजनक आरोपों पर यूनुस चिंतित

रिपोर्ट में कहा गया है कि सलाहकार परिषद की बैठक में एक अनिर्धारित चर्चा के बाद, यूनुस ने इस्तीफा देने और टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने अपनी सरकार के प्रदर्शन और प्रभावशीलता के बारे में अपमानजनक आरोपों पर चिंता जताई। यूनुस से मुलाकात के बाद इस्लाम ने कहा, ‘हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हम सर (यूनुस) के इस्तीफे के बारे में खबरें सुन रहे थे और इसीलिए हम उनसे मिलने गए थे।’

यूनुस के हवाले से इस्लाम ने कहा, ‘सर ने मुझसे कहा कि यदि मैं काम नहीं कर पाऊंगा…जिस बिंदु और स्थान से आप लोग मुझे देशव्यापी बदलाव, सुधार के लिए जन-आंदोलन के बाद यहां लाए हैं…लेकिन इस स्थिति में, इन विरोध प्रदर्शनों में, मुझे अब बंधक बना लिया गया है। मैं इस तरह से काम नहीं कर पाऊंगा, अगर आप सभी, अन्य राजनीतिक दलों के साथ, आम सहमति पर नहीं पहुंच पाते हैं।’

इस्लाम ने कहा, ‘जन-आंदोलन के माध्यम से हमारी कुछ इच्छाएं और आकांक्षाएं थीं। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और इस देश के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें मजबूत बने रहने की जरूरत है। साथ ही, उन्हें सभी अन्य राजनीतिक दलों के साथ एकजुट रहने और आम सहमति बनाने की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि सभी लोग उनका सहयोग करेंगे। अगर राजनीतिक पार्टी (बीएनपी) चाहती है कि वह अब इस्तीफा दे दें…तो वह क्यों रहेंगे, अगर उन्हें विश्वास और आश्वासन नहीं मिलता?’

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