नई दिल्ली,14 जून। थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर भारत में थोक मुद्रास्फीति मई माह में सबसे निचले स्तर पर रही। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मई में यह तीन वर्ष के निम्नतम स्तर माइनस 3.48 फीसदी पर आ गई।
वहीं, पिछले महीने थोक मुद्रास्फीति माइनस 0.92 फीसदी थी। थोक मुद्रास्फीति में कमी के लिए मुख्य रूप से अनाज, गेहूं, सब्जियां, आलू, फल, अंडे, मांस और मछली, तिलहन, खनिज, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, और इस्पात जिम्मेदार है।
दरअसल, सरकार हर महीने की 14 तारीख को मासिक आधार पर थोक कीमतों के सूचकांक जारी करती है। सूचकांक संख्या को देशभर में संस्थागत स्रोतों और चयनित विनिर्माण इकाइयों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किया जाता है।
जुलाई, 2020 के बाद से थोक मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट आ रही
गौरतलब है कि सबसे पहले जुलाई, 2020 में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई थी। इसके बाद से ही थोक महंगाई दर में कमी देखी जा रही है। मार्च में यह फरवरी के 3.85 प्रतिशत के मुकाबले 1.34 प्रतिशत पर थी। पिछले अक्टूबर में कुल मिलाकर थोक महंगाई दर 8.39 फीसदी थी और तब से इसमें गिरावट आई है। विशेष रूप से, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति सितम्बर तक लगातार 18 महीनों के लिए दोहरे अंकों में रही थी।
खुदरा मुद्रास्फीति भी दो साल के निचले स्तर पर
इस बीच, भारत में खुदरा मुद्रास्फीति मई में तेजी से घटकर 4.25 प्रतिशत हो गई, जो दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। अप्रैल में यह 4.7 फीसदी और पिछले महीने 5.7 फीसदी थी। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अब दो साल के निचले स्तर पर है। यह खाद्य और मूल मुद्रास्फीति में कमी से प्रेरित है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में इस गिरावट के पीछे आरबीआई की मौद्रिक नीति को बताया जा रहा है। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों के लिए आरबीआई के 6 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर थी और नवंबर 2022 में ही आरबीआई के आराम क्षेत्र में वापस आने में कामयाब रही थी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने पिछले सप्ताह सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को उधार देता है।