नई दिल्ली, 14 दिसंबर। कोविड-19 काल में पहले ही कमजोर हो चुकी अर्थव्यवस्था के बीच जनसामान्य को महंगाई से राहत मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। इस क्रम में महंगाई ने 24 घंटे के भीतर दोहरा झटका दे दिया है. खुदरा महंगाई (Retail Inflation) के बाद अब थोक महंगाई (Wholesale Inflation) भी बढ़ गई है।
एक वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंची थोक महंगाई
थोक कीमतों पर आधारित WPI Inflation नवंबर में एक वर्ष के उच्चतम स्तर 14.23 फीसदी पर पहुंच गया। इसका सबसे बड़ा कारण खाने-पीने की चीजों के दाम में आई तेजी है। आंकड़ों के अनुसार नवंबर महीने में खाने-पीने की चीजों के दाम पिछले पांच माह में सबसे अधिक रहे।
सब्जियों के साथ अंडे और मांस भी हुए महंगे
पिछले माह न सिर्फ सब्जियों के भाव चढ़े रहे, बल्कि अंडे और मांस की कीमतें भी बढ़ गईं। इनके अलावा ईंधन और बिजली के बास्केट ने भी थोक महंगाई को बढ़ाने में योगदान दिया. इनकी कीमतें अक्टूबर के 37.18 फीसद की तुलना में नवंबर में 39.81 फीसदी की दर से बढ़ीं। हालांकि विनिर्मित वस्तुओं के दाम में तेजी कुछ कम हुई और यह अक्टूबर के 12.04 फीसद के मुकाबले 11.92 फीसद रहा।
अभी और बढ़ेगी महंगाई
गौरतलब है कि 24 घंटे पहले सोमवा को खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे। उन आंकड़ों के अनुसार नवंबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 4.91 फीसदी पर पहुंच गई। इसका भी मुख्य कारण सब्जियों के बढ़े दाम ही रहे। रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में एमपीसी की बैठक के बाद महंगाई को लेकर अनुमान जाहिर किया था, जिसके हिसाब से चौथी तिमाही में महंगाई और बढ़ सकती है। आरबीआई ने चौथी तिमाही में खुदरा महंगाई 5.7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है।