जिनेवा (स्विट्जरलैंड), 14 अक्टूबर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले लगभग दो वर्षों से पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाली कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति और भावी संक्रमणों का पता लगाने के लिए एक बार फिर और शायद अंतिम कोशिश करते हुए एक वैज्ञानिक सलाहकार समूह गठित करने की घोषणा की है। नोवल पैथोजेन से जुड़े संगठन के वैज्ञानिक सलाहकार समूह (एसएजीओ) में अमेरिका व चीन सहित दो दर्जन देशों के 26 वैज्ञानिक शामिल होंगे।
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति को लेकर अब भी विवाद बना हुआ है। अमेरिका सहित दुनियाभर के दिग्गज विशेषज्ञ इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं और उनका दावा रहा है कि यह जानलेवा संक्रमण चीन की वुहान लैब से निकला। इसके विपरीत चीन यह मानने को तैयार नहीं है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी पहल करते हुए अपने वैज्ञानिकों के जरिए यह जानने का प्रयास किया कि कोरोना की उत्पत्ति कहां हुई। हालांकि उसे सफलता नहीं मिली और इस मामले में उसकी किरकिरी भी हुई।
अमेरिका और चीन सहित दुनियाभर के 26 वैज्ञानिक एसएजीओ में शामिल होंगे
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनियाभर के 26 वैज्ञानिकों का ग्रुप यह पता लगाएगा कि किस प्रकार नोवेल कोरोना वायरस ने मनुष्य को संक्रमित किया। समूह भविष्य में हो सकने वाली महामारियों से निबटने की प्रणाली तैयार करने पर भी सुझाव देगा। यह समूह चीन में कोरोना की उत्पत्ति की जांच कर संगठन को रिपोर्ट सौंपेगा।
डबल्यूएचओ के कोविड-19 पर तकनीकी समूह की प्रमुख मारिया वैन किरखोव ने आशा व्यक्त की कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय मिशन चीन जाएंगे और अपने कार्य में उसका सहयोग प्राप्त करेंगे।
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक बोले – महामारी के नए वायरस का उभरना प्राकृतिक तथ्य
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि महामारी फैलाने वाले नए वायरस का उभरना प्राकृतिक तथ्य है और सार्स-कोव-2 इस कड़ी का सबसे नया वायरस है, लेकिन यह अंतिम नहीं है। उन्होंने बताया कि दुनियाभर से मिले 700 आवेदनों में से 26 विशेषज्ञों को उनके विश्वस्तरीय अनुभवों को ध्यान में रखते हुए चुना गया है। ये एनिमल हेल्थ, क्लिनिकल मेडिसिन, वायरोलॉजी और जीनोमिक्स से जुड़े हैं।
इस वर्ष मार्च में भी डब्ल्यूएचओ की टीम जांच के लिए वुहान में 4 हफ्ते तक रुकी थी
ज्ञातव्य है कि डब्ल्यूएचओ की एक टीम ने इस वर्ष मार्च में भी चीन के वुहान शहर में चार हफ्तों तक रुक कर जांच की थी, लेकिन किसी पुख्ता नतीजे तक नहीं पहुंच पाई थी। इस बार डब्ल्यूएचओ ने चीन से शुरुआती मामलों से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में पता करने की ये आखिरी कोशिश हो सकती है।