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‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए देश को ‘’वित्तीयकरण’’ से बचना होगा: नागेश्वरन

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मुंबई, 2 सितंबर। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए ‘‘वित्तीयकरण’’ से बचने की जरूरत को लेकर आगाह किया और कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं सबसे उज्ज्वल वैश्विक संभावनाओं में से एक हैं।

नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि भारत का शेयर बाजार पूंजीकरण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 140 प्रतिशत है। भारतीय वित्त क्षेत्र की रिकॉर्ड लाभप्रदता तथा बाजार पूंजीकरण का उच्च स्तर या सकल घरेलू उत्पाद के प्रति बाजार पूंजीकरण का अनुपात, एक अन्य कारक उत्पन्न करता है जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है।

सीईए ने कहा, ‘‘ जब बाजार अर्थव्यवस्था से बड़ा हो जाता है तो यह स्वाभाविक है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह उचित हो कि बाजार के विचार तथा प्राथमिकताएं सार्वजनिक चर्चा पर हावी हो जाएं और नीतिगत चर्चा को भी प्रभावित करें। मैं ‘‘वित्तीयकरण’’ नामक घटना या नीति और व्यापक आर्थिक परिणामों पर वित्तीय बाजार के प्रभुत्व की बात कर रहा हूं।’’

‘सीआईआई फाइनेंसिंग 3.0 शिखर सम्मेलन’ में उन्होंने कहा कि ‘‘वित्तीयकरण’’ का अर्थ वित्तीय बाजार की अपेक्षाओं के रुझान पर प्रभुत्व है और महत्वपूर्ण रूप से सार्वजनिक नीति तथा व्यापक आर्थिक परिणामों में रुचि रखना है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि ये उनके निजी विचार हैं, न कि मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में दिया गया कोई बयान। नागेश्वरन ने कहा कि नीतिगत स्वायत्तता बनाए रखना और अर्थव्यवस्था को वैश्विक पूंजी प्रवाह की अनिश्चितताओं से बचाना महत्वपूर्ण है। भारत मामूली चालू खाता घाटे के बावजूद वैश्विक पूंजी प्रवाह पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं विश्व में सबसे उज्ज्वल हैं। इसे बनाए रखना हम पर निर्भर है। साथ ही यह भी हम पर निर्भर है कि हम इसका इस्तेमाल अपने लिए नीतिगत स्थान बनाने के लिए करें।’’ उन्होंने कहा कि संक्षेप में कहूं तो देश को राष्ट्रीय अनिवार्यताओं तथा निवेशकों के हितों या प्राथमिकताओं के बीच एक अच्छा संतुलन बनाना होगा।

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