कोलकाता, 13 जून। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को उस विधेयक को पारित कर दिया, जिसमें राज्यपाल जगदीप धनखड़ के स्थान पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने का प्रावधान किया गया है।
40 मतों के मुकाबले 182 सदस्यों के समर्थन से विधेयक पारित
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्या बसु ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय अधिनियम (संशोधन) विधेयक-2022 को सदन में पेश करने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री को कुलाधिपति बनाने में कुछ भी गलत नहीं है। 294 सदस्यीय सदन में भाजपा विधायकों के जबर्दस्त विरोध के बीच इस विधेयक को 40 मतों के मुकाबले 182 सदस्यों के समर्थन से पारित किया गया।
यदि पीएम विश्वभारती के कुलाधिपति तो सीएम राज्य विवि की कुलाधिपति क्यों नहीं?
ब्रत्या बसु ने सवाल किया, ‘अगर केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती के कुलाधिपति प्रधानमंत्री हैं तो मुख्यमंत्री राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति क्यों नहीं हो सकती? आप पंछी आयोग की सिफारिशों का अवलोकन कर सकते हैं।’ उन्होंने लगाते हुए कहा, ‘राज्यपाल, मौजूदा कुलाधिपति हैं, जिन्होंने कई मौकों पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है।’
भाजपा का आरोप – राज्य सरकार सभी पर नियंत्रण चाहती है
भाजपा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को कुलाधिपति नियुक्त किए जाने से राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली में ‘प्रत्यक्ष राजनीतिक हस्तक्षेप’ हो सकता है। भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने आरोप लगाया, ‘राज्य सरकार सभी पर नियंत्रण चाहती है। मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त करने का फैसला राज्य की शिक्षा प्रणाली में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की सहूलियत देने के लिए किया गया है।’