नई दिल्ली, 26 सितम्बर। गुजरे जमाने की ख्यातिनाम फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान को भारतीय सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए इस वर्ष प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मंगलवार को इस आशय की घोषणा की।
अनुराग ठाकुर ने लिखा एक्स पर लिखा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी और सम्मान की अनुभूति हो रही है। वहीदा जी को हिन्दी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए समीक्षकों द्वारा सराहा गया है।’ ठाकुर ने वहीदा रहमान की प्यासा, कागज के फूल, चौदहवी का चांद, साहेब बीवी और गुलाम, गाइड और खामोशी सरीखी कई लोकप्रिय फिल्मों का जिक्र भी किया।
ठाकुर ने आगे लिखा, “अपने 5 दशकों से अधिक के करिअर में, उन्होंने (वहीदा रहमान) अपनी भूमिकाओं को बेहद खूबसूरती से निभाया है, जिसके कारण उन्हें फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में एक कुलवधू की भूमिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित वहीदा जी ने एक भारतीय नारी के समर्पण, प्रतिबद्धता और ताकत का उदाहरण दिया है जो अपनी कड़ी मेहनत से पेशेवर उत्कृष्टता के उच्चतम स्तर को हासिल कर सकती है।”
वहीदा रहमान ने तेलुगु सिनेमा से की थी अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत
परंपरागत मुस्लिम परिवार में तीन फरवरी, 1938 को जन्मीं वहीदा रहमान ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत तेलुगु सिनेमा से की थी। उन्हें हिन्दी सिनेमा में पहला ब्रेक फिल्म सीआईडी से मिला। इस फिल्म में उन्होंने नकारात्मक भूमिका अदा की थी। फिल्म में वहीदा के साथ गुरु दत्त नजर आए थे। बाद में गुरुदत्त और वहीदा ने मिलकर कई फिल्मों में काम किया, जिनमें प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद, साहिब-बीवी और गुलाम शामिल हैं। उन्हें 1965 में फिल्म ‘गाइड’ के सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। अपने करिअर की दूसरी पारी में वह फिल्म वाटर, रंग दे बसंती, दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में नजर आईं।
भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहेब फाल्के के नाम पर दिया जाता है यह अवार्ड
दादासाहेब फाल्के अवार्ड की बात करें तो यह भारतीय सिनेमा का जनक दादासाहेब फाल्के के नाम पर प्रति वर्ष प्रदान किया जाता है। उन्होंने वर्ष 1913 में राजा हरिशचंद्र के नाम से भारत की पहली फीचर फिल्म बनाई थी। भारत में सिनेमा की शुरुआत करने के लिए उनके सम्मान में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया जाता है। वर्ष 1969 में इसकी शुरुआत हुई थी।
मौजूदा महाराष्ट्र के ट्रिंबक में जन्मे दादासाहेब फाल्के का वास्तविक नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के था। उनका जन्म 30 अप्रैल, 1870 में हुआ था। उनके पिता गोविंद सदाशिव फाल्के संस्कृत के विद्धान और मंदिर में पुजारी थे। उन्होंने 19 वर्ष के फिल्मी करिअर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाईं। वह न सिर्फ निर्माता-निर्देशक बल्कि स्क्रीन राइटर भी थे। उन्होंने 16 फरवरी, 1944 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।