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गुजरात में पहले चरण की 89 सीटों पर मतदान संपन्न, शहरों से ज्यादा गांवों में वोट पड़े, लगभग 58 फीसदी वोटिंग

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अहमदाबाद, 1 दिसम्बर। गुजरात विधानसभा चुनाव के तहत पहले चरण का मतदान गुरुवार को सकुशल संपन्न हो गया। पहले चरण की वोटिंग में कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के 19 जिलों की 89 सीटों पर कुल 788 प्रत्याशियों की किस्मत इलेक्ट्रिनक वोटिंग मशीनों (ईवीए) में बंद हो गई। वर्ष 2017 की तरह इस बार भी वोटिंग में शहरों से ज्यादा गांवों में वोट पड़े। दूसरे चरण में पांच दिसम्बर को 93 सीटों पर मतदान है जबकि आठ दिसम्बर को हिमाचल प्रदेश और गुजरात की मतगणना होगी।

वर्ष 2017 की तुलना में इस बार काफी कम मतदान

भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता टर्नआउट एप (Voter Turnout App) के अनुसार शाम पांच बजे तक 57.38 प्रतिशत मतदान हुआ था। हालांकि पुष्ट आंकड़े आने में वक्त लगेगा। शाम पांच बजे तक सबसे ज्‍यादा मतदान तापी में 72.32 प्रतिशत दर्ज किया गया। वहीं सबसे कम वोटिंग भावनगर में 51.34 फीसदी रही। 2017 की तुलना में इस बार वोटिंग काफी कम हुई है। 2017 में पूरे प्रदेश में 69.02 फीसदी वोट डाले गए थे।

वोटिंग में कहीं कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई

निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार पहले चरण की वोटिंग में कहीं कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई और सभी सीटों पर शांतिपूर्वक वोट डाले गए। हालांकि कुछ जगहों पर ईवीएम की खराबी और मतदान के बहिष्कार के मामले भी सामने आए। लेकिन कुल मिलकार वोटिंग में कोई बड़ा व्यवधान नहीं आया। पहले चरण की सर्वाधिक संवेदनशील मानी जा रही गोंडल सीट पर भी मतदान शांतिपूर्ण रहा।

कांग्रेस प्रत्याशी ने अस्पताल से जाकर डाला वोट

इस बीच भावनगर ग्राम्य से कांग्रेस के उम्मीदवार रेवत सिंह गोहिल ने अस्पताल से जाकर वोट डाला। दो दिन पहले कांग्रेस प्रत्याशी को हार्ट अटैक आने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। 2017 में भाजपा के परसोत्तम सोलंकी इस सीट पर चुनाव जीते थे। पार्टी ने इस बार भी सोलंकी पर भरोसा जताया है तो ‘आप’ ने खुमान सिंह गोहिल को मैदान में उतारा है।

अमरेली के भाजपा उपाध्यक्ष परिवार के 60 सदस्यों के साथ वोट डालने पहुंचे

दूसरी तरफ अमरेली जिला के भाजपा उपाध्यक्ष सुरेश पंसुरिया अपने संयुक्त परिवार के 60 सदस्यों के साथ वोट डालने पहुंचे। भाजपा जिला उपाध्यक्ष सुरेश पंसुरिया ने मीडिया को बताया, ‘हमारे परिवार में 60 सदस्य हैं और हमने सोचा कि अलग-अलग जाने के बजाय, हम एक साथ जाएंगे। हमने जाने के लिए एक ड्रेस कोड भी तय किया, जो राज्य के बाकी हिस्सों और मतदाताओं को एक संदेश पहुंचाएगा।’

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