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मणिपुर में दो दिनों तक शांति के बाद फिर भड़की हिंसा, 3 लोगों की मौत

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इम्फाल, 9 जून। मणिपुर में दो दिनों तक तनावपूर्ण शांति रहने के बाद शुक्रवार को एक बार फिर हिंसा का दौर शुरू हो गया। ताजा हिंसा में एक महिला समेत तीन लोगों मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में अब तक मरने वालों की संख्या 105 हो गई है।

वस्तुतः मैतेई और कूकी समुदाय के बीच छिड़ा संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। मई के आखिरी सप्ताह में गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया था और कई दिनों तक डटे रहे थे। तब कुछ शांति का माहौल बना था और बीते दो दिनों में कोई हिंसक वारदात नहीं हुई थी। लेकिन शुक्रवार को तनावपूर्ण शांति एक बार फिर से उपद्रव में तब्दील हो गई।

पूर्वोत्तर राज्य में 53 फीसदी आबादी मैतेई समुदाय के लोगों की है, जो मूल रूप से घाटी में बसे हैं। इसके अलावा 16 फीसदी कूकी समुदाय के लोग हैं, जिनकी अधिकतर आबादी पहाड़ी क्षेत्रों में ही बसी है। मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने पर विचार करने के हाई कोर्ट के सुझाव के बाद से राज्य में हिंसा शुरू हुई थी।

हिंसा में अब तक 105 लोगों की हो चुकी है मौत, 300 से ज्यादा घायल

इस प्रस्ताव का कूकी समुदाय ने विरोध किया था और वे लगातार इसके लिए आंदोलन कर रहे थे। ऐसे ही एक मार्च के दौरान गत तीन मई को मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी और तब से अब तक हालात नियंत्रित नहीं हो सके हैं। अब तक इस हिंसा में 105 लोगों की मौत हो चुकी है तो 40 हजार को अपना घर छोड़ना पड़ा है। 300 लोग जख्मी भी हुए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को तड़के ही कूकी बहुल गांव खोकेन में हिंसा शुरू हो गई थी। यह गांव कांगपोक्पी और इम्फाल पश्चिम जिलों की सीमा पर स्थित है। एक अधिकारी ने बताया, ‘गांव में हुई हिंसा के चलते दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। एक की मौत इलाज के दौरान हुई। हम अब तक गांव में नहीं पहुंच सके हैं। पुलिस का इंतजार किया जा रहा है, उसके बाद ही गांव में पहुंच सकेंगे। यह घटना जहां हुई है, वह कूकी बहुल गांव है जबकि पुलिस फिलहाल मैतेई बहुल गांवों में ही तैनात की गई है।’

मैतेई और कूकी समुदाय में फिर से बढ़ेगी खाई

इस हिंसा के बाद राज्य में मैतेई बनाम कूकी का संघर्ष और तेज हो गया है। इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया है कि यह हमला मैतेई उग्रवादी संगठनों के लोगों की ओर से हुआ है। एक नेता ने कहा, ‘इस इलाके में फोर्सेज तैनात थीं, लेकिन वे मौके पर नहीं थीं। जब हमला हुआ था।’ इस घटना ने एक बार फिर से मणिपुर प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं।