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उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू चाहते हैं दल-बदल कानून में संशोधन, बोले – कुछ खामियों को दूर करने की जरूरत

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बेंगलुरु, 24 अप्रैल। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को दल-बदल रोधी कानून में खामियों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसे प्रभावी बनाने के लिए इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। नायडू ने यहां प्रेस क्लब में ‘नए भारत में मीडिया की भूमिका’ पर व्याख्यान देते हुए यह बात कही।

वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन में कहा, ‘ दल-बदल रोधी कानून में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है, ताकि जनप्रतिनिधियों के दल-बदल को रोका जा सके। यह एक साथ व्यापक संख्या में दल बदलने की अनुमति देता है, लेकिन कुछ संख्या में दल-बदल की नहीं। इसलिए लोग संख्या जुटाने की कोशिश करते हैं।’

निर्वाचित प्रतिनिधि दल बदल की बजाय इस्तीफा देकर फिर निर्वाचित हों

उप राष्ट्रपति ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को एक दल से दूसरे दल में जाने की बजाय इस्तीफा देने और फिर से निर्वाचित होने को कहा। उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचित प्रतिनिधि पार्टी छोड़ना चाहते हैं, तो उन्हें पहले पद से इस्तीफा देना चाहिए और फिर से निर्वाचित होना चाहिए।

नायडू ने कहा, ‘मुझे लगता है कि समय आ गया है, जब हम वास्तव में मौजूदा दल-बदल रोधी कानून में संशोधन करेंव क्योंकि इसमें कुछ खामियां हैं।’ उन्होंने दल-बदल के खिलाफ दायर मामलों को सदन के अध्यक्षों, सभापतियों और अदालतों द्वारा वर्षों तक लंबित रखे जाने को लेकर भी नाखुशी जाहिर की। चूंकि 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस होता है, इसलिए नायडू ने स्थानीय निकायों को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जो भारतीय लोकतंत्र के त्रि-स्तरीय प्रशासन का हिस्सा हैं।

पुष्टि के साथ मीडिया की ओर से दी गई जानकारी गोला-बारूद से अधिक खतरनाक

लोकतंत्र को मजबूत करने में मीडिया की भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश की प्रगति, लोकतंत्र को मजबूत करने, लोगों की आकांक्षाओं और सरकार के विकास लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण है। नायडू ने कहा, ‘मीडिया लोगों को जानकारी देता है और मुझे हमेशा लगता है कि पुष्टि के साथ जानकारी गोला-बारूद से अधिक (खतरनाक) है। इसे वास्तविक भावना से समझना होगा।’

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