नई दिल्ली, 10 जून। कांग्रेस पार्टी के मौजूदा वरिष्ठतम नेताओं में एक और राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी सलाहकार एम. वीरप्पा मोइली ने 24 घंटे पूर्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए जितिन प्रसाद पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि पार्टी में उनकी निष्ठा शुरुआत से ही संदिग्ध थी। साथ ही मोइली ने यह भी सुझाव दिया कि कांग्रेस पार्टी में अब बड़ी सर्जरी की जरूरत है और वैचारिक प्रतिबद्धता वालों को अहम जिम्मेदारियां सौंपी जानी चाहिए।
प्रसाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं
गौरतलब है कि यूपी की राजनीति में बड़े उलटफेर के तहत जितिन प्रसाद कल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने पार्टी छोड़ने के बाद कहा था कि उनकी तीन पीढ़ियों का कांग्रेस से जुड़ाव था, लेकिन उन्होंने काफी सोच-विचार और मंथन के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला किया। जितिन ने कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टी तक की संज्ञा दे डाली थी और कहा था कि इस समय देश में यदि कोई राष्ट्रीय दल है तो वह एकमात्र भाजपा है।
जितिन की व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा सबसे ऊपर
फिलहाल कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी महासचिव (प्रभारी आंध्र प्रदेश) मोइली ने प्रसाद पर ‘व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा’ को सबसे ऊपर रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि शुरुआत से ही उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता संदेह के घेरे में थी और उनके प्रभारी रहने के दौरान पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का खाता नहीं खुलने का मतलब यह है कि वह अक्षम थे। उन्हें कई पोस्ट दिए गए, लेकिन वह हमेशा से संदिग्ध थे। वह सेक्युलर नहीं हैं, वह जातिवादी हैं।
कांग्रेस को विरासत पर निर्भरता से बाहर निकलने की जरूरत
कांग्रेस शासनकाल में कई मंत्रालयों का कामकाज संभाल चुके वीरप्पा मोइली ने पार्टी में बड़ी सर्जरी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सिर्फ विरासत पर निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि वैचारिक प्रतिबद्धता वाले नेताओं को तरजीह देते हुए उन्हें ही जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।
वैचारिक प्रतिबद्धता वाले नेताओं को मिले तरजीह
81 वर्षीय मोइली ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पार्टी के नेताओं का उचित आकलन करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई व्यक्ति काबिल नहीं होगा तो उसे कोई भी जन नेता नहीं बना सकता। कांग्रेस को इन चीजों को लेकर पुनर्विचार करने और नए सिरे से रणनीति बनानी चाहिए और इसके बाद ही पार्टी मजबूत हो सकती है।
मोइली ने कहा, ‘पार्टी को सही लोगों के साथ पुनर्संगठित किया जाए और ऐसे अक्षम लोगों को जिम्मेदारी नहीं दी जाए जो परिणाम नहीं दे सकते। यह एक सबक है। इन घटनाक्रमों को देखते हुए कांग्रेस को आत्मचिंतन की जरूरत है।’
आने वाले कल का इंतजार नहीं किया जा सकता
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद भी पार्टी में ‘बड़ी सर्जरी’ की पैरवी करने वाले मोइली ने एक बार फिर कहा कि कांग्रेस ने ‘बड़ी सर्जरी’ करने में देर कर दी और यह अभी करना जरूरी है क्योंकि आने वाले कल का इंतजार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘अगले वर्ष सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। अगर हम विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तो फिर लोकसभा चुनाव में ज्यादा दिक्कत आएगी।’
ज्ञातव्य है कि मोइली भी जितिन प्रसाद के साथ उन 23 नेताओं के समूह में शामिल थे, जिसने कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग करते हुए पिछले वर्ष अगस्त में सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। इस सवाल पर कि क्या पार्टी में नेतृत्व के प्रश्न की वजह से समस्या पैदा हो रही है, मोइली ने कहा कि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रेरित कर सकती हैं और फैसला भी ले सकती हैं।
मोदी अजेय नहीं, उन्हें पराजित किया जा सकता है
मोइली ने इस बात पर जोर दिया, ‘कांग्रेस को सिर्फ विरासत पर निर्भर नहीं करना चाहिए बल्कि हमें अपने आप को दुरुस्त करने और नरेंद्र मोदी की ओर से की जाने वाली प्रतिस्पर्धी राजनीति के लिए तैयार करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि मोदी अजेय हैं। पार्टी को फिर से पटरी पर लाकर उन्हें पराजित किया जा सकता है। अभी बड़ी सर्जरी की जरूरत है।’