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वेदांता और ताइवानी कम्पनी फॉक्सकॉन गुजरात में देश का पहला सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करेंगी

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अहमदाबाद/नई दिल्ली, 13 सितम्बर। भारतीय समूह वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी फॉक्सकॉन 1.54 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ गुजरात में देश का पहला सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करेगी। वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने मंगलवार को गुजरात सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि संयंत्र दो वर्षों में उत्पादन शुरू कर देगा।

1.54 लाख करोड़ का निवेश, दो वर्षों में शुरू हो जाएगा उत्पादन

वेदांता-फॉक्सकॉन के संयुक्त उद्यम की डिस्प्ले एफएबी विनिर्माण इकाई, सेमीकंडक्टर असेंबलिंग और टेस्टिंग इकाई राज्य के अहमदाबाद जिले में 1000 एकड़ क्षेत्रफल में स्थापित की जायेगी। इस संयुक्त उद्यम में दोनों कम्पनियों की हिस्सेदारी क्रमश: 60 और 40 प्रतिशत होगी। अनिल अग्रवाल ने कहा, ‘गुजरात में यह सबसे बड़ा निवेश है। देश में हमारा यह पहला सेमीकंडक्टर संयंत्र होगा। चिप्स के स्थानीय निर्माण से लैपटॉप और टैबलेट की कीमतों में कमी आएगी।’

दोनों कम्पनियों की हिस्सेदारी क्रमश: 60 और 40 प्रतिशत

सेमीकंडक्टर या माइक्रोचिप्स का इस्तेमाल कई डिजिटल उपभोक्ता उत्पादों में आवश्यक टुकड़े के रूप में होता है। इसका इस्तेमाल कारों से लेकर मोबाइल फोन और एटीएम कार्ड तक के उत्पादन में किया जाता है। भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य वर्ष 2021 में 27.2 अरब डॉलर का था।

इस क्षेत्र का सालाना कारोबार 2026 तक 64 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद

इस क्षेत्र के 19 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के साथ वर्ष 2026 तक 64 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, इनमें से कोई भी चिप्स अब तक भारत में निर्मित नहीं है। पिछले साल सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में भारी कमी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन समेत कई उद्योगों को प्रभावित किया।

केंद्र सरकार ताइवान और चीन जैसे देशों से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए देश में सेमीकंडक्टर्स के विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन से जुड़ी वित्तीय योजना लेकर आई है। इस कड़ी में वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के सफल आवेदकों में से एक है।

पीएम मोदी ने कहा – यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और रोजगार पैदा करेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समझौता ज्ञापन की सराहना करते कहा कि यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और रोजगार पैदा करेगा। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह एमओयू भारत की सेमीकंडक्टर विनिर्माण महत्वाकांक्षा को तेज करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी ने कहा, ‘कुल 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश अर्थव्यवस्था और नौकरियों को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह सहायक उद्योगों के लिए एक बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाएगा और हमारे एमएसएमई की मदद करेगा।’

 

अन्य विदेशी कम्पनियां कर्नाटक व तमिलनाडु में संयत्र लगाएंगी

वेदांता के अलावा दुबई की कम्पनी नेक्स्टऑर्बिट और इजराइल की प्रौद्योगिकी कम्पनी टॉवर सेमीकंडक्टर के एक संघ ने मैसूर में एक संयंत्र के लिए कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, सिंगापुर की आईजीएसएस वेंचर ने अपनी सेमीकंडक्टर इकाई के लिए स्थान के रूप में तमिलनाडु को चुना है।

राज्य सरकार की ओर से एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाले गुजरात के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव विजय नेहरा ने कहा कि दुनिया में इस्तेमाल होने वाले सभी चिप का आठ प्रतिशत ताइवान में बनता है। इसके बाद चीन और जापान का स्थान है। नेहरा ने कहा, ‘आगामी संयंत्र से भारत में चिप निर्माण की शुरुआत होगी। यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है….क्योंकि इससे अन्य देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी।’

अधिकारी ने बताया कि कुल 1,54,000 करोड़ रुपये के निवेश से 94,000 करोड़ रुपये डिस्प्ले विनिर्माण इकाई की स्थापना में खर्च होंगे जबकि 60,000 करोड़ रुपये सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र के लिए निवेश किए जाएंगे। दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू के अनुसार गुजरात सरकार निवेशकों को संबंधित विभागों से आवश्यक मंजूरी हासिल करने में सुविधा देगी।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस संयंत्र को स्थापित करने और इसे सफल बनाने में निवेश करने वाली कम्पनियों को पूरा सहयोग प्रदान करेगी। सीएम पटेल ने इस मौके पर कहा कि दोनों कम्पनियां गुजरात में यह संयंत्र लगाने पर 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। इससे एक लाख रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। पटेल ने कहा कि राज्य सरकार इसके लिए पूरा सहयोग उपलब्ध कराएगी।

केंद्रीय दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के एक करोड़ अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, ‘जब प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग सात साल पहले डिजिटल इंडिया पहल शुरू की थी, तो हम सोचते थे कि यह यात्रा हमें भविष्य में कहां ले जाएगी, क्योंकि उनकी विचार प्रक्रिया पूरी तरह से अलग थी।’

उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका जैसे देश आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की कमी और चीन के साथ भू-राजनीतिक संकट ने अमेरिकी के विनिर्माण को अपने देश में ही शुरू करने के अभियान को मजबूत किया है।

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