पीलीभीत, 27 मार्च। भारतीय जनता पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने के बाद पीलीभीत से मौजूदा सांसद वरुण गांधी ने अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। उनकी टीम ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी और कहा कि वरुण अब अपनी मां मेनका गांधी के लिए सुल्तानपुर में चुनाव प्रचार पर फोकस करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद को पीलीभीत से चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं मेनका गांधी को सुल्तानपुर से फिर टिकट दिया है। हालांकि वरुण ने नामांकन पत्र खरीदा था, जिसके बाद ऐसी चर्चाएं थीं कि वह भाजपा से बगावत कर पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन उनकी टीम ने बयान जारी कर इन अटकलों पर विराम लगा दिया है।
भूपेंद्र चौधरी ने कहा था – वरुण भाजपा के सच्चे सिपाही हैं
इससे पहले यूपी भाजपा अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने वरुण गांधी का टिकट काटे जाने पर कहा था कि इस बार पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर नहीं दिया है, लेकिन वह हमारे साथ हैं। उनके बारे में पार्टी नेतृत्व ने जरूर कुछ बेहतर ही सोचा होगा। अधीर रंजन चौधरी द्वारा वरुण को कांग्रेस में आने का न्योता देने पर भूपेंद्र सिंह ने कहा, ‘वरुण गांधी भाजपा के सच्चे सिपाही हैं। पूरा भरोसा है कि वह भाजपा में ही रहेंगे। वह गांधी परिवार से आते हैं और भाजपा ने ही उन्हें तीन बार सांसद बनाया।’
अधीर रंजन बोले – वरुण को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए
वहीं अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था कि वरुण का संबंध गांधी परिवार से है, इसलिए भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। अधीर रंजन ने कहा, ‘वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए। यदि वह कांग्रेस में आते हैं तो हमें खुशी होगी। वरुण एक कद्दावर और बेहद काबिल नेता हैं। उनका गांधी परिवार से संबंध है, इसलिए भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हम चाहते हैं कि अब वह कांग्रेस में शामिल हो जाएं।’
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ वर्षों में वरुण गांधी लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। कभी केंद्र की मोदी सरकार तो कभी राज्य की योगी सरकार पर निशाना साध रहे थे। माना जाता है कि पार्टी लाइन से अलग स्टैंड लेने की वजह से उनकी स्थिति कमजोर हुई और भाजपा ने उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी।
भाजपा से तीन बार सांसद रहे हैं वरुण गांधी
वैसे देखा जाए तो 2004 में भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने वरुण को हाथों-हाथ लिया। पार्टी ने उन्हें 2009 में पहली बार पीलीभीत से लोकसभा का टिकट दिया और वह सांसद बने। वर्ष 2013 में वरुण गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और उसी वर्ष पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया। 2014 में पार्टी ने वरुण को उनकी मां मेनका गांधी की सीट सुल्तानपुर से चुनावी मैदान में उतारा। मेनका खुद पीलीभीत से चुनाव लड़ीं। दोनों ने अपनी-अपनी सीट से जीत दर्ज की। 2019 में भाजपा ने फिर दोनों का सीट बदल दिया। मेनका सुल्तानपुर आ गईं और वरुण पीलीभीत वापस चले गए। मां और बेटे ने फिर अपनी-अपनी सीटों से जीत दर्ज की।
राहुल ने कहा था – वरुण की विचारधारा अलग
वहीं पिछले वर्ष राहुल गांधी से एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया था कि क्या उनके चचेरे भाई वरुण कांग्रेस में लौटें तो उनका स्वागत होगा? इस पर पूर्व पार्टी अध्यक्ष ने कहा था कि हमारी विचारधाराएं मेल नहीं खाती हैं। राहुल गांधी ने कहा था, ‘उन्होंने (वरुण गांधी) किसी समय, शायद आज भी, उस विचारधारा (भाजपा की विचारधारा) को स्वीकार किया और उसे अपना बना लिया। मैं उस बात को कभी स्वीकार नहीं कर सकता। मैं उनसे मिल जरूर सकता हूं, उन्हें गले लगा सकता हूं, लेकिन उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता, जिससे वह जुड़े हैं। मेरे लिए असंभव है।’