लखनऊ, 10 जुलाई। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी उपाय तलाशने के तहत राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का मसौदा तैयार कर लिया है। इस ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने तक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव इस ड्राफ्ट में रखा गया है।
राज्य विधि आयोग ने 19 जुलाई तक मांगी जनता से राय
आयोग ने विधेयक के मसौदे को अपनी वेबसाइट http://upslc.upsdc.gov.in/ पर अपलोड कर दिया है और 19 जुलाई तक इस मसले पर जनता से राय मांगी गई है। दिलचस्प तो यह है कि विधि आयोग ने यह ड्राफ्ट ऐसे समय में पेश किया है, जब दो दिन बाद ही योगी आदित्यनाथ सरकार नई जनसंख्या नीति जारी करने वाली है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मसले पर विशेष रूप से समुदाय केंद्रित जागरूकता कार्यक्रम अपनाने पर जोर दिया है। हालांकि आयोग का कहना है कि वह कानून का मसौदा स्वप्रेरणा से तैयार कर रहा है। यूपी में सीमित संसाधन व अधिक आबादी के कारण ऐसे कदम उठाने जरूरी हैं।
सुझाव मिलने के बाद राज्य सरकार को सौंपेंगे ड्राफ्ट : जस्टिस मित्तल
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एन मित्तल ने कहा, ‘जनसंख्या नीति तो आती हैं, लेकिन इसे रोकने का कोई कानून नहीं हैं। नीति में आप अनुदान व प्रोत्साहन दे सकते हैं, लेकिन दंड या प्रतिबंध नहीं लगा सकते, इसलिए आयोग ने कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। सुझावों को अंतिम रूप देने के बाद हम इसे प्रदेश सरकार को सौंपेंगे।’
नियम टूटा तो निर्वाचन रद होने से लेकर कर्मचारियों की बर्खास्तगी तक का प्रावधान
दो ही बच्चों तक सीमित होने पर जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें इंक्रीमेंट, प्रमोशन सहित कई सुविधाएं दी जाएंगी। यदि कानून लागू हुआ तो एक वर्ष के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और स्थानीय निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वे इस नीति का उल्लंघन नहीं करेंगे। नियम टूटने पर निर्वाचन रद करने का प्रस्ताव है। साथ ही सरकारी कर्मचारियों की प्रोन्नति रोकने व बर्खास्तगी तक का भी प्रस्ताव है।
दो बच्चों तक सीमित रहने पर मिलेंगी ढेरों सुविधाएं
परिवार को दो ही बच्चों तक सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में नियोक्ता अंशदान बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं दी जाएंगी। दो बच्चों वाले ऐसे दंपतियों को, जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं, भी पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है।
परिवार में सिर्फ एक संतान है तो सरकारी नौकरी में प्राथमिकता
इसी क्रम में एक बच्चे पर स्वैच्छिक नसंबदी करवाने वाले अभिभावकों की संतान को 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी। सरकारी नौकरी वाले दंपति को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव है। अगर दंपति गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए एक लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश है।
गर्भवती महिलाओं को छूट का भी प्रस्ताव
हालांकि, एक्ट लागू होते समय प्रेगेनेंसी हैं या दूसरी प्रेगनेंसी के समय जुड़वा बच्चे होते हैं तो ऐसे केस कानून के दायरे में नहीं आएंगे। अगर किसी का पहला, दूसरा या दोनों बच्चे नि:शक्त हैं तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। तीसरे बच्चे को गोद लेने पर भी रोक नहीं रहेगी।
मसौदे में बहुविवाह पर खास प्रावधान
आयोग ने ड्राफ्ट में धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं। अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियां करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चे हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा। हालांकि, हर पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। वहीं, अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे हैं तो उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।