लखनऊ, 5 मई। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 की भयावहता के बीच कराए गए पंचायत चुनाव के लगभग सारे परिणाम आ चुके हैं। तीन दिनों तक चली मैराथन मतगणना में जो तस्वीर उभर कर सामने आई है, उसमें निर्दलीय उम्मीदवारों ने भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के मुकाबले ज्यादा सीटें जीती हैं।
राज्य के 75 जिलों में जिला पंचायत सदस्य की कुल 3050 सीटें हैं। वाराणसी में एक प्रत्याशी की मौत के चलते चुनाव स्थगित कर दिया गया था जबकि एक सीट का परिणाम जारी नहीं हुआ।
घोषित परिणामों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 944 निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी। सत्तारूढ़ भाजपा ने 768 सीटें जीतीं. लेकिन पार्टी के प्रदेश संगठन के लिए कहीं से भी यह राहत प्रदान करने वाली खबर नहीं है क्योंकि पार्टी ने इससे कहीं ज्यादा की उम्मीद लगा रखी थी। दिलचस्प तो यह है कि जीते हुए कई निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज होकर चुनाव लड़े थे।
भाजपा के विपरीत सपा उम्मीदवार उल्लेखनीय सफलता हासिल करते हुए 759 सीटों पर निर्वाचित घोषित किए गए। हालांकि सपा के भी कई बागी उम्मीदवार निर्दल के तौर पर जीते हैं।
इन दोनों पार्टियों के इतर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जहां 319 सीटें जीती हैं वहीं कांग्रेस को 125, राष्ट्रीय लोकदल को 69 और आम आदमी पार्टी को 64 सीटें मिली हैं।
हकीकत यह है कि अब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा और सपा के बीच निर्दलीयों के सहारे जोर आजमाइश देखने को मिलेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो निर्दलीय पंचायत सदस्यों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहेगी, जो ज्यादातर जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के भाग्य का फैसला करेंगे।