लखनऊ, 28 सितम्बर। वर्ष 2007 में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला इस्तेमाल कर पूर्ण बहुमत से सत्ता पाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब बारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इसी दांव से बेचैन हो गई है। पार्टी प्रमुख मायावती ने ट्वीटर के जरिए सरकार पर जातीय आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मंत्री केवल दिखावे भर के हैं। जब तक यह लोग अपने विभाग समझेंगे, तब तक चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी।
अपने ट्वीट में बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि ‘बीजेपी ने कल यूपी में जातिगत आधार पर वोटों को साधने के लिए जिनको भी मंत्री बनाया है, बेहतर होता कि वे लोग इसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि जब तक वे अपने-अपने मंत्रालय को समझकर कुछ करना भी चाहेंगे तब तक यहां चुनाव आचार संहिता लागू हो जायेगी।’
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि ‘जबकि इनके समाज के विकास व उत्थान के लिए अभी तक वर्तमान भाजपा सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये हैं बल्कि इनके हितों में बीएसपी की रही सरकार ने जो भी कार्य शुरू किये थे, उन्हें भी अधिकांश बन्द कर दिया गया है। इनके इस दोहरे चाल-चरित्र से इन वर्गों को सावधान रहने की सलाह।’
इससे पहले उन्होंने दो ट्वीट करके गन्ना मूल्य बढ़ाए जाने को भी बहुत कम करार दिया। उन्होंने कहा कि यूपी भाजपा सरकार पूरे साढ़े चार वर्षों तक यहां के किसानों की घोर अनदेखी करती रही व गन्ना का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया।
जिस उपेक्षा की ओर सात सितम्बर को प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में मेरे द्वारा इंगित करने पर अब चुनाव से पहले इनको गन्ना किसान की याद आई है जो इनके स्वार्थ को दर्शाता है। केन्द्र व यूपी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों से पूरा किसान समाज काफी दुःखी व त्रस्त है, लेकिन अब चुनाव से पहले अपनी फेस सेविंग के लिए गन्ना का समर्थन मूल्य थोड़ा बढ़ाना खेती-किसानी की मूल समस्या का सही समाधान नहीं। ऐसे में किसान इनके किसी भी बहकावे में आने वाला नहीं है।