लखनऊ,15 जुलाई। उत्तर प्रदेश में संचालित निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के क्रम में राज्य सरकार ने उन्हें सूचना के अधिकार (आरटीआई) के अधीन लाने का फैसला कर लिया है। इसके तहत अब इन स्कूलों को अपनी सभी जानकारियां सूचना के अधिकार के तहत मांगे जाने पर उपलब्ध करानी होंगी। राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) ने गुरुवार को इस आशय का आदेश जारी किया है।
जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति भी करनी होगी
राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने अपने आदेश में निजी स्कूलों से यह भी कहा है कि वे अपने यहां जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करें। नए आदेश के बाद अब कोई भी व्यक्ति बच्चों की फीस व स्कूल संचालन में खर्च संबंधी जानकारियां स्कूलों से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त कर सकेगा। स्कूलों को ये जानकारियां अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होंगी।
लंबे समय से चल रही थी निजी स्कूलों को आरटीआई के अधीन लाने की मांग
गौरतलब है कि राज्य में गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से चल रही थी। इसी क्रम में संजय शर्मा नाम के शख्स ने लखनऊ के दो नामी स्कूलों को लेकर अपील दायर की थी। इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने इन दोनों निजी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करें ताकि सूचना अधिकार कानून 2005 के तहत लोगों को जानकारी मिल सके।
इससे पहले निजी स्कूल अपने संचालन से जुड़ी जानकारियां यह कहकर नहीं देते थे कि उन्हें राज्य सरकार से कोई फंड (वित्त पोषित) नहीं मिलता है और वे सूचना के अधिकार कानून के दायरे से बाहर हैं।
हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यदि किसी शहर का विकास प्राधिकरण निजी स्कूल को कम दरों पर भूमि प्रदान करता है, तो ऐसे स्कूल को राज्य द्वारा संपूर्ण रूप से वित्त पोषित माना जाएगा।