नई दिल्ली, 10 अगस्त। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अब वैश्विक राजनीति की नई पटकथा लिख रहा है। अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के कुछ ही दिन बाद जो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, वे इस टकराव को केवल एक आर्थिक जंग नहीं रहने दे रहीं। अब यह मुद्दा सीधे यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति प्रयासों से जुड़ गया है। जहां अमेरिका भारत पर दबाव बनाना चाह रहा था, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा रणनीतिक कदम उठाया है, जिसने व्हाइट हाउस और वॉशिंगटन की राजनीति में हलचल मचा दी है।
अमेरिकी सीनेटर ने भारत से मांगी मदद
सीनेटर लिंडसे ग्राहम, जो अमेरिका के प्रभावशाली रिपब्लिकन नेताओं में गिने जाते हैं, ने सार्वजनिक रूप से भारत से अपील की है कि वह यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस मामले में रास्ता दिखाए। ग्राहम ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, भारत अगर ट्रंप को यूक्रेन में चल रहे खूनी संघर्ष को खत्म करने में मदद करता है, तो इससे भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़ आ सकता है।
यह बयान तब आया है जब अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की थी। इस शुल्क का उद्देश्य भारत पर व्यापारिक दबाव बनाना था, लेकिन भारत ने ना केवल इसका कड़ा जवाब दिया, बल्कि अपनी विदेश नीति में तटस्थता और संतुलन बनाए रखते हुए, रूस से रिश्तों को भी मजबूत बनाए रखा।
पीएम मोदी की पुतिन से बातचीत ने बढ़ाया अमेरिका का तनाव
अमेरिका में जहां ट्रंप प्रशासन भारत पर दबाव बना रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में यूक्रेन युद्ध से जुड़े ताज़ा हालात पर चर्चा हुई और मोदी ने रूस को 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित भी किया।

