वॉशिंगटन, 28 अक्टूबर। अमेरिका ने लद्दाख से लेकर दक्षिण चीन सागर तक आंखें दिखा रहे चीनी ड्रैगन को करारा जवाब देने के लिए अब कमर कस ली है। जो बाइडेन प्रशासन ने भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने का एलान किया है ताकि नई दिल्ली चीनी सेना की आक्रामकता को करारा जवाब दे सके। गुरुवार को जारी की गई अमेरिका की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति में इसका एलान करने के साथ चीन को सबसे गंभीर चुनौती करार दिया गया।
राष्ट्रीय रक्षा नीति को अमेरिका की संसद ने भी दी मंजूरी
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ओर से जारी इस रक्षा नीति को बाइडन प्रशासन ने बनाया है। अमेरिका ने इस राष्ट्रीय रक्षा नीति का एलान ऐसे समय पर किया है, जब हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती ही जा रही है। इस राष्ट्रीय रक्षा नीति को अमेरिका की संसद ने भी मंजूरी दी है। विश्लेषकों का कहना है कि इस राष्ट्रीय रक्षा नीति के आधार पर ही अमेरिका अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकता को तय करता है।
चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत को देंगे मदद : अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा नीति में कहा गया है, ‘रक्षा मंत्रालय भारत के साथ अपने बड़ी रक्षा भागीदारी को आगे बढ़ाएगा ताकि चीन की आक्रामकता से निबटने के लिए उसकी क्षमता में इजाफा हो सके। साथ ही हिन्द महासागर में स्वतंत्र और मुक्त आवागमन को सुनिश्चित किया जा सके।’ इसके अनुसार चीन ने सबसे व्यवस्थित चुनौती अमेरिका के सामने पेश की है। वहीं रूस ने विदेशों और देश में अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बड़ा खतरा पेश किया है।
अमेरिका ने कहा, ‘अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ सबसे व्यापक और सबसे गंभीर चुनौती चीन की बलपूर्वक और आक्रामक गतिविधियां हैं ताकि हिन्द प्रशांत क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अपने मुताबिक ढाला जा सके। यह चीन की सर्वाधिकारवादी प्राथमिकता और हितों को सूट करता है।’
पेंटागन ने यह भी कहा कि वह अपने सहयोगियों और भागीदारों को भी अमेरिकी नीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक मदद देगा ताकि चीन की पूर्वी चीन सागर, ताइवान स्ट्रेट, दक्षिण चीन सागर और भारत के साथ विवादित सीमा पर नियंत्रण स्थापित करने के अभियान को करारा जवाब दिया जा सके।