वॉशिंगटन, 31 जुलाई। अमेरिका ने ईरान के ऊर्जा व्यापार और शिपिंग नेटवर्क को निशाना बनाते हुए छह भारतीय कम्पनियों समेत कुल 20 संस्थाओं पर नए प्रतिबंधों का एलान किया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है, ‘ईरान का शासन मध्य पूर्व में लड़ाई को बढ़ावा देता है और वो उससे मिली कमाई का इस्तेमाल अस्थिर करने वाली गतिविधियों के लिए करता है। इसी वजह से अमेरिका ईरान के तेल, तेल उत्पाद और पेट्रोकेमिकल कारोबार से जुड़ी 20 कम्पनियों पर प्रतिबंध लगा रहा है और 10 जहाजों को ब्लॉक की गई संपत्ति मान रहा है।’
ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया – आर्थिक साम्राज्यवाद का एक नया रूप
ये नए प्रतिबंध ऐसे समय पर सामने आए हैं, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। हालांकि ईरान ने इन प्रतिबंधों को भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा है कि ये अंतरराष्ट्रीय क़ानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन है और आर्थिक साम्राज्यवाद का एक नया रूप है।
अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है, ‘आज अमेरिका ऐसा कदम उठा रहा है, जिससे उस कमाई को रोका जा सके, जिसका इस्तेमाल ईरानी शासन विदेश में आतंकवाद को बढ़ावा देने और अपने ही लोगों पर दमन करने के लिए करता है।’ बयान में यह भी कहा गया है कि भारत, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की और इंडोनेशिया की कई कम्पनियों को ईरान के पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बड़ी बिक्री और खरीद में शामिल पाए जाने के कारण प्रतिबंध सूची में डाला जा रहा है।
बयान में चेतावनी दी गई है, ‘जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी कह चुके हैं, कोई भी देश या व्यक्ति अगर ईरानी तेल या पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदने का फैसला करता है तो वह खुद को अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे में डालता है और उसे अमेरिका के साथ कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’
अमेरिकी वित्त विभाग ने भी की है काररवाई
इसके साथ ही अमेरिकी वित्त विभाग हुसैन शामखानी के बड़े शिपिंग कारोबार से जुड़े 115 से ज्यादा लोगों, कम्पनियों और जहाजों पर भी काररवाई कर रहा है। हुसैन शामखानी, ईरान के सर्वोच्च नेता के राजनीतिक सलाहकार अली शामखानी के बेटे हैं।
प्रतिबंध की सूची में भारतीय मूल के पंकज नागजीभाई पटेल भी शामिल
अमेरिकी वित्त विभाग के बयान में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने वाले भारतीय मूल के पंकज नागजीभाई पटेल का नाम भी प्रतिबंध सूची में जोड़ा गया है. पटेल ने हुसैन शामखानी के नेटवर्क से जुड़ी कई शिपिंग कंपनियों में बतौर एग्ज़ीक्यूटिव काम किया है, जिनमें टियोडोर शिपिंग भी शामिल है।
ये भारतीय भी प्रतिबंधित सूची में डाले गए
इसके अलावा, भारतीय नागरिक जैकब कुरियन और अनिल कुमार पनाक्कल नारायणन नायर को भी इस सूची में डाला गया है। ये दोनों मार्शल आइलैंड्स में पंजीकृत नियो शिपिंग नाम की कम्पनी से जुड़े रहे हैं। यह कम्पनी अभ्रा नाम के जहाज की मालिक है, जो हुसैन शामखानी के नेटवर्क की ओर से संचालित जहाजों के बेड़े का हिस्सा है।
इन 6 भारतीय कम्पनियों पर लगा है प्रतिबंध
अमेरिकी विदेश विभाग के बयान के अनुसार इन भारतीय कम्पनियों पर ने ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल सामान खरीदने-बेचने के करोड़ों डॉलर के सौदे किए।
अलकेमिकल सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड : इस पेट्रोकेमिकल व्यापार कम्पनी ने जनवरी, 2024 से दिसम्बर, 2024 के बीच ईरान से पेट्रोकेमिकल उत्पाद आयात किए और खरीदे। इस दौरान कम्पनी ने लगभग 84 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के उत्पाद खरीदे।
ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड : भारत में स्थित इस कम्पनी ने जुलाई, 2024 से जनवरी, 2025 के बीच ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों (जिसमें मेथनॉल भी शामिल है) का आयात किया। इस दौरान लगभग 51 मिलियन डॉलर से ज्यादा के उत्पाद खरीदे गए।
ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड : मुंबई की इस कम्पनी ने जनवरी, 2024 से जनवरी, 2025 के बीच ईरान से पेट्रोकेमिकल उत्पाद, खासकर टोल्यून, आयात किए। इन सौदों की कुल कीमत लगभग 49 मिलियन डॉलर से अधिक रही।
रमणिकलाल एस. गोसालिया एंड कम्पनी : यह कम्पनी भी पेट्रोकेमिकल व्यापार से जुड़ी है। अमेरिकी बयान के अनुसार जनवरी, 2024 से जनवरी, 2025 के दौरान इसने ईरान से मेथनॉल और टोल्यून जैसे उत्पाद मंगाए। इन लेन-देन की कुल कीमत लगभग 22 मिलियन डॉलर आंकी गई।
पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड : इस कम्पनी ने अक्तूबर, 2024 से दिसम्बर, 2024 के बीच ईरान से मेथनॉल जैसे पेट्रोकेमिकल उत्पाद मंगाए। इस दौरान कुल खरीद लगभग 14 मिलियन डॉलर रही। बयान में यह भी कहा गया है कि इनमें से कुछ खेपें दुबई की बाब अल बरशा नाम की ट्रेडिंग कम्पनी के जरिए मंगाई गई थीं।
कंचन पॉलिमर्स : अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कम्पनी ने ईरान की तानाइस ट्रेडिंग नाम की कम्पनी से पॉलीएथिलीन जैसे पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे। कुल खरीद लगभग 1.3 मिलियन डॉलर से ज्यादा की रही।

