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अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप ने गोपनीय दस्तावेज अवैध तरीके से रखने के आरोपों को नकारा

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मियामी, 14 जून। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को संघीय आरोपों को लेकर किसी न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई का सामना करने वाले देश के पहले पूर्व राष्ट्रपति बन गए। उन्होंने मियामी के अदालत कक्ष में गोपनीय दस्तावेजों को अवैध तरीके से अपने पास रखने और सरकार के अनुरोध के बावजूद उन्हें लौटाने से इनकार करने के आरोपों को नकार दिया। ट्रंप को गोपनीय दस्तावेज रखने संबंधी मामले में अभ्यारोपित किया गया है।

यह मामला फ्लोरिडा स्थित ट्रंप के आवास मार-ए-लागो से सैकड़ों गोपनीय दस्तावेज बरामद होने से जुड़ा है। इस मामले में दोषी करार दिए जाने की सूरत में ट्रंप को एक साल की जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है। मामले की सुनवाई एक बार फिर राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की ट्रंप की इच्छा के आड़े भी आ सकती है।

इससे न सिर्फ उनके राजनीतिक भविष्य पर, बल्कि उनकी व्यक्तिगत आजादी पर भी असर पड़ सकता है। ट्रंप के खिलाफ अभियोग को गत शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया था, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ने इसे जरा भी तव्वजों नहीं देते हुए अपना प्रचार जारी रखा था और इस बात से इनकार किया था कि उन्होंने कुछ भी गलत किया है।

हालांकि, अदालत कक्ष में ट्रंप का बर्ताव इससे ठीक उलट दिखाई दिया। वह हाथ बांधे हुए शांत बैठे थे। वकील ने उनकी ओर से आरोपों को ठुकराने संबंधी याचिका दाखिल की और अदालत की कार्यवाही उनका पासपोर्ट जमा कराए बिना या उन पर यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगाए बिना ही समाप्त हो गई।

अभियोजक डेविड हारबैच ने कहा कि ट्रंप को पूर्व राष्ट्रपति के उनके पद को देखते हुए यह छूट दी गई है। मजिस्ट्रेट जज ने ट्रंप से इस मामले में किसी भी गवाह से बात न करने को कहा, जिनमें वाल्ट नाउटा भी शामिल हैं। नाउटा ट्रंप के करीबी हैं और उन्हें पूर्व राष्ट्रपति के निर्देश पर दस्तावेजों से भरे बक्सों को हटाने और संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) को गुमराह करने के लिए पिछले सप्ताह ही अभ्यारोपित किया गया है।

मजिस्ट्रेट जज ने हालांकि कहा कि ट्रंप काम के सिलसिले में नाउटा से बातचीत कर सकते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि मामले पर कार्यवाही आगे बढ़ने पर ट्रंप अपने बचाव में क्या दलील देंगे। उनके दो प्रमुख वकीलों ने मंगलवार को इस्तीफा देने की घोषणा की थी।