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हत्या में यूपी तो दुष्कर्म में राजस्थान सबसे अव्वल, साल 2020 में बढ़ा 28 फीसदी अपराध

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नई दिल्ली, 16 सितम्बर । कोरोना महामारी के बीच वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 के दौरान अपराध के मामलों में 28 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में कुल 66 लाख 1 हजार 285 अपराध के मामले दर्ज किए गए। इसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 42 लाख 54 हजार 356 मामले और एसएलएल के तहत 23 लाख 46 हजार 929 मामले दर्ज किए गए। जबकि साल 2019 में कुल 51 लाख 56 हजार 158 मामले दर्ज किये गए थे। देश में 25 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक कोविड महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन रहा था।

आंकड़ों के अनुसार, 2020 में उत्तर प्रदेश में हत्या के 3779 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद बिहार में हत्या के 3,150, महाराष्ट्र में 2,163, मध्य प्रदेश में 2,101 और पश्चिम बंगाल में 1,948 मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में 2020 में हत्या के 472 मामले दर्ज किए गए। पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी समेत पूरे भारत में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगाया गया था। पिछले साल जिन लोगों की हत्या की गई थी उनमें से 38.5 फीसदी 30-45 उम्र के थे जबकि 35.9 फीसदी 18-30 उम्र के थे। आंकड़े बताते हैं कि कत्ल किए गए लोगों में 16.4 फीसदी 45-60 साल की आयु वर्ग के थे और चार फीसदी 60 साल से अधिक उम्र के थे जबकि शेष नाबालिग थे।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में 2020 में दुष्कर्म के प्रतिदिन औसतन करीब 77 मामले दर्ज किए गए। पिछले साल दुष्कर्म के कुल 28,046 मामले दर्ज किए गए। देश में ऐसे सबसे अधिक मामले राजस्थान में और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। एनसीआरबी ने कहा कि पिछले साल पूरे देश में महिलाओं के विरूद्ध अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 में 4,05,326 थे और 2018 में 3,78,236 थे।

अपहरण के मामलों में 2019 की तुलना में 2020 में 19 फीसदी की कमी आई है। 2020 में अपहरण के 84,805 मामले दर्ज किए गए जबकि 2019 में 1,05,036 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ें बताते हैं कि 2020 में अपहरण के सबसे ज्यादा 12,913 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। इसके बाद पश्चिम बंगाल में अपहरण के 9309, महाराष्ट्र में 8103, बिहार में 7889, मध्य प्रदेश में 7320 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में अपहरण के 4,062 मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी ने कहा कि देश में अपहरण के 84,805 मामलों में 88,590 पीड़ित थे। इनमें अधिकतर यानी 56,591 पीड़ित बच्चे थे।

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