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UP News: राज्यपाल ने खारिज की 31 दया याचिकाएं, 14 स्वीकार, सभी सजायाफ्ता हत्या के मामले में वर्षों से हैं जेल में बंद

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लखनऊ, 17 जून। हत्या, दुष्कर्म जैसे मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों की दया याचिकाएं लगातार खारिज हो रही है। कैदी द्वारा दया याचिका के आवेदन के बाद हो रहे परीक्षण में जिलास्तरीय दया याचिका समिति द्वारा विरोध किया जा रहा है। कई मामले ऐसे आए जिसमें जेल प्रशासन द्वारा कैदी के अच्छे आचरण का भी उल्लेख किया गया है, लेकिन दया याचिका समिति इस आधार पर विरोध कर रही है कि अमुक कैदी के छूटने से समाज में गलत संदेश जा सकता है। हालांकि कई ऐसे कैदी भी हैं जिनका मूल्यांकन करने के बाद राज्यपाल ने कारावास से मुक्त करने का भी आदेश दिया है।

बताते चलें कि हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद लंबे समय तक सजा काट चुके कैदियों का मूल्यांकन के बाद समय पूर्व रिहाई का प्रावधान है। इसके अंतर्गत प्रत्येक जिले में दया याचिका समिति गठित है। जिसमें जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और जिला प्रोवेशन अधिकारी सदस्य होते हैं। दया याचिका का आवेदन होने के बाद समिति कैदी का मूल्यांकन कर राज्यपाल को रिपोर्ट भेजती है।

जेल में निरुद्ध कैदी का अच्छा आचरण होना समय पूर्व रिहाई का मुख्य आधार होता है। पहली जनवरी से 15 जून तक 45 दया याचिकाएं राज्यपाल के पास पहुंची थी, जिसमें से 31 याचिकाएं इस आधार पर अस्वीकार कर दी गई, क्योंकि आरोपी खतरनाक किस्म का था, छूटने पर समाज में गलत संदेश जाएगा। जिन कैदियों की दया याचिकाएं प्राप्त हो रही थी, उनमें से सभी आजीवन कारावास की सजा पाए हुए हैं और 20 से 25 वर्ष की सजा पार कर चुके हैं।

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